प्रमुख संवाददाता (रांची). बांग्लादेशी घुसपैठियों पर रोक लगाने के मामले में झारखंड हाइकोर्ट ने कनीय अधिकारियों द्वारा दायर शपथ पत्र को दरकिनार कर दिया है. चीफ जस्टिस विद्युत वरण षाड़ंगी व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए इस मामले में देवघर, दुमका, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ व जामताड़ा जिले के उपायुक्तों को फिर से शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया है. इस मामले में अगले सप्ताह सुनवाई होगी.
संताल परगना के छह जिलों के डीएसपी रैंक के अधिकारियों की ओर से शपथ पत्र दायर कर कहा
संताल परगना के छह जिलों के डीएसपी रैंक के अधिकारियों की ओर से शपथ पत्र दायर कर कहा है कि उनके जिले में बांग्लादेशी घुसपैठ नहीं हुई है. पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने संताल परगना के छह जिलों के उपायुक्त को शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया था. साथ ही कहा था कि संबंधित जिलों के एसपी डाटा उपलब्ध कराने में उपायुक्तों को फीडबैक देंगे. मुख्य सचिव इसकी मॉनिटरिंग करेंगे. लेकिन गुरुवार को अदालत ने पाया कि उपायुक्त की जगह डीएसपी रैंक के अफसरों की ओर से शपथ पत्र दायर किया गया है. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि अदालत को गुमराह करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है?बांग्लादेशी घुसपैठ मामले को लेकर दायर है जनहित याचिका
दानियल दानिश की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा, साहिबगंज समेत झारखंड के बॉर्डरवाले इलाके से झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ हो रही है. इससे इन जिलों में जनसंख्या पर कुप्रभाव पड़ रहा है. यहां बड़ी संख्या में मदरसा स्थापित किया जा रहा है. साथ ही स्थानीय ट्राइबल के साथ वैवाहिक संबंध बनाया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने बांग्लादेशी घुसपैठ पर रोक लगाने के साथ आग्रह किया है कि भारत का गृह मंत्रालय रिपोर्ट दाखिल कर बताये कि झारखंड के बॉर्डर इलाके से कैसे बांग्लादेशी घुसपैठ हो रही है. इनके द्वारा झारखंड में कैसे लोगों को गुमराह कर वैवाहिक संबंध स्थापित किया जा रहा है.
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