Tiger News: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के मैनाटांड़ प्रखंड में इन दिनों एक बाघ दहशत का विषय बना हुआ है. मैनाटांड़ प्रखंड के पुरैनिया और लिपनी गांव के बाद अब बाघ करताहा नदी होते हुए चनपटिया प्रखंड की ओर चला गया है. उसके पंजे के निशान को देखकर अब बाघ को ट्रेस करने का प्रयास किया जा रहा है. चिंता की बात यह है कि बाघ अब भी जंगल की ओर नहीं गया है बल्कि वह रिहायशी इलाकों की तरफ ही घूम रहा है.
बाघ अब रिहायशी इलाकों की तरफ नदी होते हुए जा रहा
मंगुराहा वन रेंजर सुनील पाठक ने बताया कि बाघ के पग मार्ग को ट्रेस करते हुए यह क्लीयर हुआ है कि बाघ करताहा नदी के किनारे किनारे होते हुए चनपटिया ब्लॉक की तरफ गया है. उन्होंने बताया कि वन विभाग के लिए बाघ को ट्रेस करना एक मुश्किल काम हो गया है. नदी के तट पर पेड़ पौधे झाड़ी होने के कारण वन कर्मियों को परेशानी हो रही है. बाघ जंगल की ओर रुख नहीं कर वापस रिहायशी इलाकों की तरफ नदी होते हुए जा रहा है. हालांकि 20 वन कर्मियों की टीम बाघ के पीछे लगाई गयी है. बाघ की एक-एक गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है. वन विभाग का प्रयास है कि बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ दिया जाये.
लिपनी गांव पहुंचा तो जान बचाकर भागीं महिलाएं
बता दें कि पुरैनिया के कौड़ेना नदी के तट पर गन्ने के खेत में तीन दिन तक बाघ रहा और उसके बाद उसने अपना ठिकाना बदल दिया है. मंगलवार की शाम को कौड़ेना नदी होते हुए बाघ पुरैनिया के बगल के गांव लिपनी पहुंच गया था. शाम को लिपनी गांव से दक्षिण मंदिर के पास घास काटने गयी महिलाओं ने जब बाघ को देखा तो हो हल्ला करते हुए भागते पड़ते गांव में पहुंचीं. लिपनी की उर्मिला देवी, विंध्यवासिनी देवी, बबिता देवी, निक्की कुमारी आदि महिलाएं मंदिर के बगल में घास काटने गयी थी, तभी गन्ने के खेत से हुंकार भरते हुए बाघ को निकलते देखा. महिलाएं अपनी जान बचाकर गांव आयीं.
भैंस और गायों को हटवाया गया, लोगों को किया गया अलर्ट
सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम लिपनी गांव स्थित मंदिर के पास पहुंचा. वहां पहुंचते ही वन कर्मियों ने मंदिर के पास बंधे भैंस और गायों को पशुपालकों से कहकर वहां से हटवाया. साथ ही लोगों को उधर नहीं आने की सख्त हिदायत दीं. उधर मंगुराहा वन रेंजर सुनील पाठक ने बताया कि बाघ मृत नीलगाय के सतर प्रतिशत मांस खाने के बाद अपना ठिकाना बदल लिया है.
नीलगाय को मारकर मांस खाने रोज खेत से निकलता था बाघ
रेंजर ने बताया कि बाघ ने पहले नीलगाय को मारा था और उसका अधिकतर मांस खा लिया गया था. वह रोज-रोज बाघ गन्ने के खेत से निकलकर मृत नीलगाय को खींचकर स्थान बदलते रह रहा था. उम्मीद भी थी एक दो दिन में नीलगाय का पूरा मांस खाने के बाद ही बाघ संतुष्ट होकर जंगल की ओर रूख कर लेगा. बाघ को कोई डिस्टर्ब नहीं करें, बाघ कहीं आक्रमक न हो जाये. इसको लेकर 24 घंटे वन विभाग के द्वारा निगरानी की जा रही है. बाघ के जंगल की ओर लौटने तक वन विभाग अलर्ट मोड में है.