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खिलाड़ियों को स्टेट एथलेटिक्स की मेजबानी का मौका गंवाने का है मलाल

स्टेट एथलेटिक्स

पूर्णिया. राज्य स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता की मेजबानी के लिए पूर्णिया जिले का नाम आने के बाद विभिन्न खेल विधाओं से जुड़े लोगों एवं खेल प्रेमियों के बीच गजब का उत्साह था. लेकिन अफसोस यह उत्साह महज पानी का बुलबुला तब साबित हुआ जब राज्य स्तरीय विशेषज्ञ जांच टीम ने इंदिरा गांधी स्टेडियम में नवनिर्मित सिंथेटिक ट्रैक सहित अन्य सुविधाओं की कमी का हवाला देते हुए पूर्णिया में इसके आयोजन को उचित करार नहीं दिया. इस वजह से पूर्णिया के नवनिर्मित ट्रैक पर पहली दफा होने वाली एथलेटिक्स प्रतियोगिता का स्थान परिवर्तित होकर पटना के खाते में चला गया. इस घटना को लेकर एक ओर जहां खिलाड़ियों में नाराजगी सहित अवसर गंवाने का मलाल है तो वही संघ के पदाधिकारियों ने इसे एक सबक बताया है.

खिलाड़ियों की मेजबानी का मौका से वंचित रहा पूर्णिया

अपने घर में पूरे राज्य से आनेवाली टीम और खिलाड़ियों की तीन दिनों तक मेजबानी करने का रोमांच यहां के खिलाड़ियों को एक अलग ही तरह का एहसास करा रहा था. लगभग दो हजार से भी ज्यादा खिलाड़ियों की जमघट को लेकर आस पास के दुकानदारों में भी अच्छे कारोबार की उम्मीद थी. लेकिन सबकुछ धरा का धरा रह गया. बताया जाता है कि उदघाटन के बाद से ही उक्त मैदान पर किसी भी विधा के खिलाड़ियों के द्वारा अभ्यास कार्य किये जाने पर रोक लगा दी गयी थी. वही जब कुछ खिलाड़ी मौक़ा देखकर स्टेडियम के अन्दर अभ्यास के लिए पहुंचते तो उन्हें वहां से भगा दिया जाता था.

स्टेडियम के हालात सुधारने की पहल नहीं

वैसे, स्टेडियम के अन्दर कुछ गतिविधियां हुईं लेकिन वहां के बिगड़े हालात को सुधारने की दिशा में कोई काम नहीं किया गया जिस वजह से ट्रैक एवं मैदान बुरी तरह प्रभावित हुआ है. कुछ खिलाड़ियों ने सिंथेटिक ट्रैक की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाये हैं. उनका कहना है कि ट्रैक का निर्माणकार्य सही ढंग से नहीं हुआ है. दूसरी ओर शौचालय एवं स्नानागार व चेंजिंग रूम का भी अभाव है इन्ही सब मामलों को लेकर जांच टीम के सदस्यों ने पूर्णिया स्थित इंदिरा गांधी स्टेडियम को राज्य स्तरीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता के आयोजन के लिए अयोग्य बताया. जिले वासियों को भी इस बेहतरीन मौके का हाथ से निकल जाने का बेहद अफसोस है. लोगों का कहना है कि आखिर सात करोड़ की लागत से तैयार ट्रैक एवं सन्य संसाधनों का क्या लाभ जब बच्चे उसपर अभ्यास भी न कर सकें और बेहतर मेजबानी करने का मौक़ा हाथ से ही निकल जाए.

कहते हैं खिलाड़ी

1. पूर्णिया को एक अच्छा मौका मिला था मेजबानी करने का. पूरे राज्य से खिलाड़ी यहां पहुंचते. एक अलग माहौल बनता जिले का नाम रौशन होता. अन्य बच्चों को भी इससे प्रेरणा मिलती. लेकिन यह मौक़ा हाथ से निकल गया इसका हमेशा अफसोस रहेगा.

अभिषेक कुमार, हाईजम्प एथलीट

फोटो. 19 पूर्णिया 22- अभिषेक कुमार

2. राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए व्यवस्था नहीं हो पायीं यह बहुत गलत हुआ. मैंने दूसरे स्थानों पर भी प्रैक्टिस किया है और खेला भी है. सभी जगहों पर सारी सुविधाएं हैं लेकिन यहां कोई मौका नहीं दिया जा रहा है. स्टेडियम के अन्दर कई उपादानों और संसाधनों की अभी भी कमी है.

प्रिंस कुमार, एथलीट खिलाड़ी

फोटो. 19 पूर्णिया 23- प्रिंस कुमार

कहते हैं संघ के अधिकारी

इस परिणाम से सबक लेते हुए स्टेडियम में जितनी लागत से सिंथेटिक ट्रैक का निर्माण कराया गया है उसे विश्वविद्यालय द्वारा खेल विभाग को पूर्णतः सौंप देना चाहिए. ताकि वहां सभी को प्रक्टिस करने का मौक़ा मिले. स्टेडियम में बिजली, पानी, टॉयलेट की व्यवस्था की जाय ताकि इतनी लागत जो आयीं हैं उसका सदुपयोग हो सके.

फोटो- 19 पूर्णिया 24- नीलम अग्रवाल, अध्यक्ष एथलेटिक संघ

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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