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भाजपा को विक्टोरिया हाउस के सामने प्रदर्शन की सशर्त अनुमति

बिजली दरों में बढ़ोतरी के विरोध में पार्टी कार्यालय से निकलेगा जुलूस

कोलकाता. कलकत्ता हाइकोर्ट ने भाजपा को बिजली दरों में बढ़ोतरी के खिलाफ विक्टोरिया हाउस के सामने सशर्त प्रदर्शन करने की अनुमति प्रदान कर दी है. शुक्रवार को हाइकोर्ट के न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज ने कहा कि भाजपा 22 की बजाय 26 जुलाई को पार्टी के मुरलीधर सेन लेन कार्यालय से विक्टोरिया हाउस तक मार्च कर सकेगी और दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक यह कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है. हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इस कार्यक्रम में 1000 से ज्यादा नेता, कार्यकर्ता और समर्थक शामिल नहीं हो सकते और कार्यक्रम को पर्यावरण नियमों का पालन करना होगा. इसके साथ ही न्यायाधीश कानून व व्यवस्था बनाये रखने के लिए वहां पर्याप्त पुलिसकर्मियों को तैनात करने का निर्देश दिया और इसकी निगरानी कोलकाता पुलिस के संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी करेंगे. वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि सीइएससी क्षेत्रों में बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गयी है, इसलिए जिस समस्या का हवाला देते हुए कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की गयी है, ऐसी कोई समस्या है ही नहीं. भाजपा की ओर से अभी तक सीइएससी के समक्ष कोई शिकायत नहीं दी गयी है. भाजपा का प्रतिनिधिमंडल वहां जाकर शिकायत कर सकता है. इस पर अदालत ने राज्य सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि क्या अब ये भी राज्य तय करेगा कि शिकायतें कैसे और किस तरीके से करनी होगी. उन्होंने कहा कि जब हाइकोर्ट के कर्मचारी हमारे पास अपनी मांग लेकर आते हैं, तो हम यह नहीं जानना चाहते कि मांग पत्र में क्या है. हम सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि कब आना है. इसके बाद राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि विक्टोरिया हाउस की बजाय अगर वाइ चैनल पर विरोध प्रदर्शन किया जाये, तो राज्य को कोई आपत्ति नहीं है. इस पर भाजपा के अधिवक्ता ने कहा कि अगर विक्टोरिया हाउस के सामने कोई समस्या है, तो राज्य सरकार आज से ही वहां सभी पार्टी के कार्यक्रमों पर रोक लगा दे. इस पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि वहां सिर्फ एक ही पार्टी का कार्यक्रम आयोजित होता है, क्योंकि वहां गोलीबारी की घटना हुई थी, जिसमें 13 लोगों की जानें गयी थीं. इस पर भाजपा के अधिवक्ता ने सवाल उठाया कि क्या गोलीबारी में मरने वाले लोग मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ता थे. उस समय वर्तमान सत्ताधारी दल तो अस्तित्व में ही नहीं था. वर्तमान सत्ताधारी दल का जन्म घटना के कम से कम सात वर्ष बाद हुआ. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद हाइकोर्ट के न्यायाधीश राजर्षि भारद्वाज ने भाजपा को 26 जुलाई को विक्टोरिया हाउस के सामने धरना प्रदर्शन करने की अनुमति दे दी.

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