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घोड़परास व जंगली सुअर के शिकार व शव निष्पादन के लिए गाइडलाइन जारी

घोड़परास व जंगली सुअर के शिकार व शव निष्पादन के लिए गाइडलाइन जारी

मुजफ्फरपुर. घोड़परास व जंगली सुअर से खेती व बागवानी को नुकसान को लेकर इसके शिकार (आखेट/ मारने) व उसके शव निष्पादन के बाबत जिला पंचायती राज विभाग द्वारा सभी जिला पंचायती राज पदाधिकारी को गाइडलाइन जारी किया गया है. बताया गया कि इसमें होने वाले व्यय का भुगतान ई-पंचायत बिहार पोर्टल के माध्यम से किया जाना है. ऐसे में पंचायतों के मुखिया के खातों का पंजीकरण इस पोर्टल पर किया जाना है ताकि पोर्टल से भुगतान की प्रक्रिया सुचारू हो सके. इस संबंध में अपने स्तर से संंबंधित कर्मियों को पंचायत के मुखिया के खातों को पोर्टल पर पंजीकृत करने के लिये निर्देशित करे. पंचायती राज विभाग व वन व जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा संयुक्त दिशा निर्देश जारी है. जिसमें वन प्राणी के एक नियम के तहत इसके लिए प्राधिकृत पदाधिकारी सह मुखिया को प्राधिकृत किया गया है. वहीं इस शक्ति के दुरुपयोग को रोकन के लिए मुख्य वन प्राणी प्रतिपालक द्वारा शर्तों का अधिरोपण किया गया है. जिसमें बताया कि चिह्नित प्रखंडों में अवस्थित ग्राम पंचायतों जिनमें प्राकृतिक वन क्षेत्र उपलब्ध है, के गैर वन इलाकों में इन्हें मारने का आदेश देने से पहले वन प्रमंडल पदाधिकारी सह वन्य प्राणी प्रतिपालक को समस्या के स्वरूप के संबंध में पंचायतवार तथ्यपूर्ण प्रतिवेदन समर्पित कर पूर्वानुमति प्राप्त की जायेगी. अन्य जिलों के प्रखंडों में अवस्थित ग्राम पंचायत जिनमें प्राकृतिक वन्य क्षेत्र उपलब्ध नहीं है के लिए पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं होगी. शिकार के लिए इन शर्तों का पालन जरूरी – संबंधित पंचायत के अधिन किसानों द्वारा दिये गये केवल लिखित शिकायत पर मुखिया द्वारा विचार किया जायेगा. – लिखित शिकायत पर मुखिया, गांव के प्रभावित व बुजुर्ग लोग वन अधिकारी के साथ स्थल निरीक्षण कर आकलन करेंगे, तब पंचनामा बनेगा, मारना आवश्यक समझे जाने पर इसे स्पष्ट रूप से पंचनामा में दर्ज करेंगे. – इसके बाद ही समस्याग्रस्त क्षेत्र में मारने का आदेश मुखिया द्वारा दिया जायेगा. आदेश के अनुमति पत्र में उनकी संख्या की जानकारी वन क्षेत्र के पदाधिकारी को देंगे. – मारने के लिए दक्ष निशानेबाज की सहाता लेंगे, जिसके पास विधिवत हथियार का लाइसेंस हो, वैसे लाइसेंस धारी नहीं जिनके विरुद्ध कोई हथियार संबंधित मामला लंबित हो. ऐसा नहीं होने पर वन विभाग द्वारा निशानेबाज का पैनल है. – शिकार करते समय इनके अतिरिक्त दूसरे पशु व मनुष्य को क्षति नहीं हो. शव का संपादन प्रखंड, अंचल, कृषि, पशुपालन विभाग के प्रतिनिधि के साथ पंचायत के प्रतिनिधि के समक्ष किया जायेगा. – मुखिया की सहमति से मारे गये इस जानवर के शव का पंचनामा मुखिया तैयार करेंगे. शव दफनाने के बाद पंचनामा की प्रति संबंधित वन क्षेत्र के पदाधिकारी को उपलब्ध करायी जायेगी. शव के किसी हिस्से का इस्तेमाल किसी व्यक्ति द्वारा नहीं किया जायेगा. – मुखिया द्वारा एक बार में 50 से अधिक जानवरों (दोनों को मिलाकर) की अनुमति नहीं दी जायेगी. पहली अनुमति के बाद शिकार के सभी शव को दफनाने के बाद ही अगली अनुमति दी जायेगी. – दिये गये आदेश के संबंध में दो रिपोर्ट तैयार की गयी, एक प्रति वन परिसर पदाधिकारी व दूसरी रिपोर्ट मुखिया के स्तर पर संधारित होगी. – लाइसेंस धारी शूटर को मारने पर प्रति पशु 750 रुपये कार्टिज भरपायी के लिए, जमीन में गाड़ने के लिए घोड़परास को 1250 रुपये व प्रति सुअर को गाड़ने के लिए 750 रुपये व्यय होगा.

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