रांची : शुक्रवार को भी झारखंड में मॉनसून कमजोर रहा. 20 जुलाई से इसमें सुधार का पूर्वानुमान मौसम केंद्र ने किया है. मध्य बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव बना हुआ है. इसका कल डिप्रेशन में बदलने का अनुमान है. इसी दिन यह 20 जुलाई को पुरी में टकरायेगा. यह धीरे-धीरे छत्तीसगढ़ की ओर बढ़ेगा. इसका असर छत्तीसगढ़ से सटे झारखंड के जिलों में भी पड़ने का अनुमान है.
20 और 21 जुलाई को हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश के आसार
मौसम विज्ञान केंद्र के प्रभारी निदेशक अभिषेक आनंद के अनुसार, 20-21 जुलाई को राज्य में कई स्थानों पर हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश होगी. 22-23 जुलाई को राज्य के सभी स्थानों पर हल्के से मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है. 20 जुलाई को राज्य के दक्षिणी भाग (कोल्हान) तथा 23 को राजधानी और आसपास के साथ-साथ कोल्हान में भी भारी बारिश हो सकती है. इसको लेकर सतर्क रहने की जरूरत है.
मुसाबनी में हुई सबसे अधिक बारिश
झारखंड में पिछले 24 घंटे में सबसे अधिक बारिश पूर्वी सिंहभूम के मुसाबनी में हुई. मुरहू में 15, चंद्रपुरा में 12 मिमी के आसपास बारिश हुई. राजधानी में भी छिटपुट बारिश हुई. बारिश और बादल के कारण पूरे राज्य का अधिकतम तापमान 30 से 36 डिग्री सेसि के बीच है. राजधानी का तापमान शुक्रवार को 31 डिग्री सेसि रहा. अगले कुछ दिनों में इसमें गिरावट का अनुमान है.
बारिश नहीं होने से किसानों की बढ़ी चिंता
मॉनसून के मुंह फेरने से पिपरवार कोयलांचल के किसानों की चिंता बढ़ गयी है. पानी की कमी की वजह से खेतों में लगे बिचड़े सूखने लगे हैं. इससे संकट के बादल मंडराने लगे हैं. जिन किसानों के पास सिंचाई का साधन है, वे किसी तरह बिचड़ों को जीवित रखे हुए हैं. वहीं बारिश के अभाव में किसान खेतों में काम नहीं कर पा रहे हैं. बचरा बस्ती, होसिर, नगडुआ, पड़रिया, किचटो, बिलारी, कारो, कल्याणपुर बेंती, बहेरा आदि गांवों के किसान पानी की कमी से खेतों में कीचड़ नहीं कर पा रहे हैं.
जिन किसानों ने पहले धान की छिंटाई की है, उनके बिचड़े रोपनी के लायक तैयार हो चुके हैं. पर, बारिश के अभाव में खेती कार्य रुका हुआ है. जानकारी के अनुसार पिपरवार कोयलांचल में आषाढ़ माह में 25 प्रतिशत बारिश भी नहीं हुई है. वर्तमान में बादलों का धूप-छांव का खेल चल रहा है. बादलों को देख किसानों में थोड़ी आस बंधती है, लेकिन कुछ घंटे बाद ही बादलों के चले जाने के साथ उनकी उम्मीदें टूट जाती है. पिछले वर्ष भी असमय बारिश से धान की पैदावार चौपट हो गयी थी. इस बार भी इसी बात को लेकर किसान ज्यादा चिंतित हैं.
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