AK Rai Death Anniversary: धनबाद-मार्क्सवादी चिंतक और पूर्व सांसद एके राय राजनीति में आना नहीं चाहते थे, लेकिन हालात और मजदूरों के आग्रह ने उन्हें लीडर बना दिया. 1971 में धनबाद जेल के चार नंबर वार्ड में यह चर्चा हुआ करता था. उस वक्त सीपीआइएम के आंदोलनकारियों को धनबाद जेल के इसी वार्ड में रखा जाता था. यहीं पर पार्टी और अन्य तरह की बातें हुआ करती थीं. ये बातें पंचम प्रसाद उर्फ रामलाल ने कहीं. उस वक्त वह भी उसी वार्ड में बंद थे. आज 21 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि है. आइए जानते हैं कैसे हालात ने उन्हें लीडर बना दिया.
1966 की वह सभा, जब मंच से बोले एके राय
धनबाद के रामलाल ने बताया कि 1966 में सिंदरी कारखाना में कैजुअल मजदूरों की हड़ताल होनी थी. उस वक्त सीपीआइएम के नेता सत्यनारायण सिंह थे. हड़ताल के एक दिन पहले सभा रखी गयी थी. इसमें सत्यनारायण सिंह को शामिल होना था. लेकिन वह नहीं आये. सभा का समय हो रहा था. ऐसे में स्थानीय नेता राम लायक सिंह वहां मौजूद एके राय के पास गये. उन्होंने सत्यनारायण सिंह के नहीं आने की जानकारी देते हुए एके राय से मंच साझा करने का आग्रह किया. क्योंकि एके राय मजदूरों के हित की बात करते रहते थे. एके राय ने सभा संबोधित करने से यह कहते हुए मना कर दिया कि वह यहां नौकरी करने आये हैं. लेकिन उनके बार-बार आग्रह करने के बाद वह सभा में शामिल हुए. सभा को संबोधित करते हुए मजदूरों से हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान किया.
और एके राय को सस्पेंड कर दिया गया
सभा में शामिल होने के कारण एके राय को नौकरी से निलंबित कर दिया गया. मजदूरों की हड़ताल भी कई दिनों तक चली. विपक्ष के नेता ज्योर्तिमय बसु ने इस मामले को संसद में रखा था, इसके बाद मजदूरों की मांगें पूरी की गयी थीं. इसके बाद 1967 में सीपीआइएम से पहली बार एके राय ने विधानसभा का चुनाव लड़ा. यह चुनाव भी उन्होंने सभी के दबाव में लड़ा था. एके राय ने कांग्रेस नेता जगत बल्लव सिंह को हराया था.
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