समस्तीपुर : सरकारी विद्यालयों में आयोजित वार्षिक व अर्द्ध वार्षिक मूल्यांकन परीक्षा के प्रश्न पत्रों में बड़े पैमाने पर खामियां सामने आ रही थी. जिसके कारण परीक्षार्थियों के अलावा वीक्षकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. इस शिकायत को दूर करने की पहल अब शिक्षा विभाग ने की है. मिली जानकारी के मुताबिक जिला के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी सहायता प्राप्त प्रारंभिक विद्यालयों में मूल्यांकन को लेकर विभाग ने ठोस कार्ययोजना तैयार कर नयी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. जिला के सभी सरकारी विद्यालयों में 8वीं तक के करीब छह लाख बच्चों का मूल्यांकन एससीईआरटी करायेगी. वार्षिक व अर्द्ध वार्षिक के संचालन से लेकर मूल्यांकन की जिम्मेवारी एससीईआरटी की ही रहेगी. सितंबर में सरकारी स्कूलों में होने वाली अर्द्ध वार्षिक मूल्यांकन को लेकर बिहार शिक्षा परियोजना निदेशक ने राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को पत्र लिखा है. निदेशक ने कहा है कि अपर मुख्य सचिव के निर्देशानुसार बच्चों का मूल्यांकन व परीक्षा संचालन राज्य शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण परिषद् द्वारा किया जायेगा. प्रश्नपत्र सह उत्तरपुस्तिका, समग्र प्रगति पत्रक/विद्यार्थी प्रगति पत्रक आदि का मुद्रण एवं वितरण का कार्य एससीईआरटी के द्वारा ही संपादित किया जायेगा. सरकारी स्कूलों में बच्चों के मूल्यांकन में पिछली बार कई तरह की गड़बड़ियां सामने आयी थीं. प्रश्नपत्र घटने से लेकर प्रश्नपत्र में गलतियों की भरमार थी. इसे लेकर कई जगहों पर काफी विवाद भी हुआ था. प्रश्न पत्र की गलतियों से किसी भी वर्ग का प्रश्न पत्र अछूता नहीं था. इससे सिस्टम पर प्रश्न चिन्ह भी लगने लगा.
प्रभावी मूल्यांकन देते हैं बेहतर शैक्षिक परिणाम
डीपीओ एसएसए मानवेंद्र कुमार राय बताते है कि छात्रों के सीखने का आकलन प्रभावी शिक्षण का एक महत्वपूर्ण घटक है और शैक्षणिक सफलता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मूल्यांकन शिक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह शिक्षकों को छात्रों की समझ को मापने, उनकी प्रगति को ट्रैक करने और उन क्षेत्रों की पहचान करने की अनुमति देता है जहां हस्तक्षेप आवश्यक हो सकता है. मूल्यांकन छात्रों के ज्ञान, कौशल और प्रगति के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं, साथ ही निर्देश में आवश्यक समायोजन पर भी प्रकाश डालते हैं. प्रभावी मूल्यांकन अभ्यास अंततः बेहतर शैक्षिक परिणामों में योगदान करते हैं और स्कूलों और कक्षाओं के भीतर निरंतर सुधार की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं. शैक्षिक मूल्यांकन में मानकीकृत परीक्षण शामिल होते हैं जो कई विषयों में बच्चे की शैक्षणिक योग्यता का मूल्यांकन करते हैं. मूल्यांकन से पता चलेगा कि क्या कोई बच्चा प्रत्येक विषय क्षेत्र में समान रूप से पिछड़ रहा है या क्या विशिष्ट बाधाएं उस छात्र को किसी विशेष विषय में ग्रेड स्तर पर प्रदर्शन करने से रोक रही हैं. डीईओ कामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने बताया कि शैक्षणिक वातावरण बनाने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से नित्य विभाग स्तर पर निर्णय लिए जा रहे है. मूल्यांकन एक गहन, सतत प्रक्रिया है. यह शिक्षक को समस्याओं की पहचान करने और अपने छात्रों के साथ समस्याओं को हल करने में सहायता करता है. मूल्यांकन शिक्षकों के लिए अपने विद्यार्थियों को वर्गीकृत करने और उनके बुद्धि, क्षमता और रुचि के स्तर को निर्धारित करके उनकी सहायता करने का एक तरीका है. इसे बेहतर बनाने का निर्णय लिया गया है. मूल्यांकन से यह तय होता है कि कौन सा छात्र विभिन्न परिस्थितियों में अपने ज्ञान और समझ का बेहतर उपयोग कर सफलता प्राप्त करने में सक्षम है.वर्ष 2019 में वार्षिक मूल्यांकन के प्रश्न पत्र में काफी खामियां मिली. शिक्षकों ने बताया कि तृतीय वर्ग के गणित प्रश्न पत्र में त्रुटियां की हद हो गई थी. प्रश्न संख्या तीन में तीन सैकड़ा शून्य दहाई और एक इकाई से कितनी संख्या बनेगी. ऑप्सन में 30 और 31 दिया गया, जो पूरी तरह गलत था. वहीं पांच के क में रंगीन भाग के लिए भिन्न लिखने को कहा गया. जबकि रंगीन भाग दर्शाया ही नहीं गया. प्रश्न आठ में पूछा गया है कि संदीप के पास 1832 रुपये है. उसे कितने रुपये और दिये जायें कि उसके पास 800 रुपये हो जाये. प्रश्न नौ, इस पैटर्न के आधार पर अगला चीज बनाइए. जबकि किसी प्रकार का पैटर्न छपा ही नहीं. प्रश्न 10 में फुटबाल से कितने अधिक बच्चे क्रिकेट पसंद करते हैं. जबकि ऑप्शन में क्रिकेट 15 और फुटबाल 18 था.
2022 में 2020 में ही मुद्रित प्रश्न पत्र वार्षिक मूल्यांकन 2022 के लिए मिला
वर्ष 2024 में वर्ग छह के खंड-ख (गणित) के प्रश्न पत्र में एक क्वेश्चन पूछा गया, जिसमें फरवरी माह के कैलेंडर के आधार पर नीचे दिये प्रश्नों का उत्तर देना था. प्रश्न पत्र के अनुसार फरवरी माह में कितने दिन थे ? बसंत पंचमी का त्योहार किस तारीख को था ? सहित अन्य प्रश्न पूछे गये थे. वहीं प्रश्न पत्र में बने कैलेंडर में साप्ताहिक दिन मंगलवार का नहीं होना छात्रों को अचंभित कर दिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है