पानागढ़. बुदबुद थाना क्षेत्र के आउसग्राम में सेल्फ हेल्प ग्रुप(एसएचजी) के कामकाज को प्रभावित करने और अपने ढंग से काम नहीं करने पर उसकी सदस्यों को धमकाने का मामला प्रकाश में आया है. इस बाबत एसएचजी की पीड़ित सदस्य ने तृणमूल के आउसग्राम ब्लॉक-02 के अध्यक्ष शेख अब्दुल लालन के खिलाफ थाने में शिकायत की है. तृणमूल नेता पर आरोप है कि उसने एसएचजी की महिला को जान से मारने की धमकी दी. हालांकि आरोप को सिरे से नकारते हुए शेख अब्दुल लालन ने उस महिला पर धांधली में लिप्त रहने का इल्जाम लगा दिया है. बताया गया है कि बुदबुद थानांतर्गत कोटा क्षेत्र में कोटा महिला बहूद्देशीय सहकारी समिति (एसएचजी यानी स्वयं सहायता समूह) है. आरोप है कि आउसग्राम ब्लॉक-02 के पार्टी अध्यक्ष अब्दुल लालन विविध तरीकों से एसएचजी के कामकाज को प्रभावित कर रहे हैं. जो सदस्य विरोध करती हैं, उन्हें धमकी दी जाती है. ऐसी ही एक पीड़िता ने तृणमूल नेता के खिलाफ बुदबुद थाने में शिकायत की है. मामले की जांच में पुलिस लग गयी है. पुलिस को एसएचजी की सचिव इस्मातारा बीबी मंडल ने बताया कि एक दिन वह एसएचजी से जुड़े काम के लिए बैंक नहीं जा सकी. उस दिन शेख अब्दुल ने सरेआम उसे पीटने की धमकी दी. पार्टी कार्यकर्ताओं के जरिये उस पर दबाव डाला गया. यहां तक कि महिला को जान से मारने की धमकी भी दी गयी. पीड़िता की शिकायत है कि एसएचजी के संचालन से उसे अलग कर दिया गया है. दूसरी सदस्याएं एसएचजी को चला रही हैं. इसके बाद पीड़िता ने बुदबुद थाने में शेख अब्दुल लालन के खिलाफ शिकायत की है. उधर, इस बाबत पूछने पर शेख अब्दुल लालन ने कहा कि वो महिला कई विसंगतियों में लिप्त है. जब आप किसी समूह में होते हैं, तो आप हमेशा सही नहीं होते. कोटा इलाके के तृणमूल नेता इंद्रजीत कोनार ने कहा, मुख्यमंत्री महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश कर रही हैं, पर ऐसी घटना अवांछनीय है. तृणमूल के शीर्ष नेतृत्व को ऐसे मसलों का हल करना चाहिए, उक्त घटनाक्रम पर भाजपा के बर्दवान सदर उपाध्यक्ष रमन शर्मा ने कहा, ये नेता नहीं, सत्ताधारी पार्टी के गुंडे हैं. आरोप लगाया कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों में कई तृणमूल नेता जुलूसों में आग्नेयास्त्र लेकर चलते हैं. शेख अब्दुल लालन भी आउसग्राम के ऐसे ही दबंगों में एक है. इलाके में माकपा के पूर्व प्रधान कोहिनूर गांगुली ने कहा, पूरे राज्य में महिलाओं को परेशान किया जा रहा है. आप डर से विरोध नहीं कर सकते. ऐसा तब होता है, जब कोई राजनीतिक दल स्वयं सहायता समूह पर हमला करता है. मामले को लेकर इलाके में चर्चा गरम है.
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