Kanwar Yatra Controversy: पटना. दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां एक ओर विवादों में है, वहीं अब बिहार में भी भाजपा ने कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों को नेमप्लेट लगाने की मांग कर दी है. बिहार भाजपा ने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के फरमान को सही बताया है. भाजपा अब बिहार में भी ‘योगी मॉडल’ अपनाने की मांग की है. भाजपा के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान बिहार में भी दुकानदारों को अपना नाम प्लेट लगाना चाहिए. भाजपा की इस मांग पर जदयू ने कड़ा एतराज जताया है. जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि ऐसा करना सामाजिक सौहार्द को क्षति पहुंचायेगा.
पवित्रता को बनाये रखना जरूरी
प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि कांवड़ यात्रा आस्था और पवित्रता का प्रतीक है. बिहार में भी करोड़ों लोग कांवड़ यात्रा करते हैं. कांवरियों की पवित्रता को ध्यान में रखकर कांवड़ मार्ग में पड़ने वाले दुकानदारों को अपनी दुकान के बाहर अपने नाम का उल्लेख करना चाहिए. ऐसा सिर्फ बिहार ही नहीं झारखंड की सरकार को भी इसके लिए आदेश निर्गत करना चाहिए, क्योंकि सुल्तानगंज से जल उठाकर कांवरिया देवघर में जल डालते हैं. कांवरियों के पवित्रता को बरकरार रखने के लिए यह कदम जरूरी है. यह समस्त हिंदू समाज की भावना से जुड़ा मामला है. लोगों की आस्था का मामला है.
जदयू ने जताया विरोध, फैसले को बताया गलत
इधर, एनडीए की सहयोगी जदयू ने न केवल इस मांग को खारिज कर दिया, बल्कि योगी सरकार के फैसले को भी गलत ठहरा दिया. जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा है कि कांवर यात्रा के मार्गों पर लगाये जाने वाले दुकानों व भोजनालयों आदि पर दुकानदार का नाम लिखवाने का निर्णय सही नहीं है. उन्होंने इस मामले में विपक्ष पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का प्रयास करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हकीकत में यह कानून उन्होंने ही बनाया हुआ है. इस कानून को 2006 में लागू किया गया था. उस समय उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी और केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए सरकार थी. सरकार को इस नियम को लागू करवाने के बजाये सरकारी स्तर पर विशेष भोजनालय, विश्राम स्थल, पूजन सामग्री वितरण स्थल आदि का निर्माण करवा कर उनके उपयोग को लोगों की इच्छा पर छोड़ देना चाहिए.
सभी जाति-धर्मों के लोगों का रहता है सहयोग
राजीव रंजन ने कहा कि हिंदू धर्म में कांवर यात्रा एक तपस्या है. इसमें पवित्रता का बेहद ख्याल रखा जाता है, लेकिन इसके बावजूद कांवर यात्रा के मार्गों पर लगाये जाने वाले दुकानों व भोजनालयों आदि पर दुकानदार का नाम लिखवाने के निर्णय को सही नहीं कहा जा सकता. इस यात्रा में सभी जाति-धर्मों के लोगों का सहयोग रहता है. सेवा करने वालों का जाति-धर्म नहीं पूछते. एक तरह से महादेव की पूजा में जाति-धर्म गौण हो जाता है. दुकानों व भोजनालयों पर नाम लिखवाने से सामाजिक विषमता बढ़ने का खतरा है, इसे विपक्षी दल हवा देने के लिए तैयार खड़े हैं. नाम देख कर लोग केवल दूसरे धर्मों के लोगों से ही नहीं बल्कि दलित-पिछड़े व अतिपिछडे समाज के लोगों से भी सामान खरीदने से कतरायेंगे. इससे कांवड़ियों की परेशानी भी बढ़ेगी.