बेतिया. जिलाभर के सभी सरकारी मध्य विद्यालयों में अब पारंपरिक या पुरानी पद्धति से गणित और विज्ञान विषयों की पढ़ाई नहीं होगी. कक्षा छह से लेकर आठवीं तक के बच्चों की गणित व विज्ञान की पढ़ाई पर जोर दिया जाएगा. विज्ञान-गणित की शिक्षा को प्रभावी बनाने को लेकर कक्षा की पाठ्य पुस्तक के पाठ पर आधारित माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट (सूक्ष्म सुधार परियोजना) के आधार पर काम किया जाएगा. इसको लेकर राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निदेशक सज्जन आर. ने जिला शिक्षा पदाधिकारी और सर्व शिक्षा अभियान के डीपीओ के लिए निर्देश जारी किया है. एससीईआरटी की ओर से दोनों विषयों की पुस्तकों में समाहित शीर्षकों के अनुरूप प्रोजेक्ट तैयार किये गए हैं. स्कूलों में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग (परियोजना आधारित ज्ञान) कार्यक्रम को सरल और प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक प्रोजेक्ट के अंतर्गत पांच दिनों की गतिविधियां संचालित होंगी. इसमें छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकों की बातों को पढ़कर समझने और कर के सीखने का अवसर मिलेगा यह योजना सत्र 2024-25 से ही स्कूलों में लागू होगी. इसके अनुसार हर महीने में विज्ञान एवं गणित की पाठ्य पुस्तकों में से एक-एक पाठ का माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट सभी स्कूलों में कक्षा छह, सात और आठवीं के बच्चों के लिए भेजा जाएगा. पुस्तकों में समाहित सभी शीर्षकों से संबंधित प्रोजेक्ट के पूरा होने तक यह सिलसिला चलता रहेगा.हर एक माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट में तीनों कक्षाओं के एक-एक प्रोजेक्ट शामिल रहेंगे. इसकी पहुंच सूबे के सभी स्कूलों तक हो, इसके लिए इसे दीक्षा एप पर अपलोड किया जाएगा. इसकी शुरुआत 16 जुलाई से हो चुकी है. गौरतलब है कि ‘नई शिक्षा नीति 2020’ के तहत अब परियोजना आधारित पढ़ाई होनी है. इसके लिए हर स्कूल में एससीईआरटी पांच दिनों की गतिविधि भेजेगी. इसके आधार पर ही स्कूलों में पढ़ाई होगी.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है