डकरा. केडीएच परियोजना विस्तार में पिछले दस साल से बाधक बने जामुनदोहर बस्ती रविवार को पूरी तरह से खाली करा लिया गया. यहां कुल 110 मकानों को विस्थापित कर कोयला खनन के लिए आठ एकड़ जमीन खाली कराने का प्रयास पिछले दस सालों से चल रहा था. यहां जमीन के भीतर 45 लाख टन कोयला रिजर्व है. अगले तीन साल तक कोयले का खनन किया जा सकेगा. रविवार को परियोजना पदाधिकारी अनिल कुमार सिंह ने विस्थापित नेता बिगन सिंह भोक्ता, विनय खलखो, श्रमिक नेता सुनील कुमार सिंह, गोल्टेन प्रसाद यादव, जेडएच खान, खान प्रबंधक राघवेन्द्र गांधी ने सादे समारोह में 80वां चेक विस्थापितों को प्रदान किया. हालांकि अन्य लोगों का चेक तकनीकी कारणों से नहीं सौंपा गया है. पीओ ने बताया कि बस्ती को खाली कराने में सीसीएल मुख्यालय के अधिकारी, महाप्रबंधक समेत क्षेत्र के श्रमिक संगठनों का अहम योगदान रहा. केडीएच विश्व बैंक द्वारा संपोषित कोल इंडिया की महत्वाकांक्षी परियोजना है. जामुनदोहर बस्ती में खाली स्थानों से कोयले का उत्पादन शुरू हो गया है. इसके अलावा 219 हेक्टेयर जमीन पर काम करने के लिए अलग से योजना बनायी गयी है. यहां 126 हेक्टेयर वन भूमि है, जिसका स्टेज-2 क्लियरेंस मिल गया है. सब कुछ ठीक रहा तो चालू वित्तीय वर्ष में ही वहां से उत्पादन शुरू हो जायेगा. 219 हेक्टेयर जमीन के भीतर 82 मिलियन टन कोयला का भंडार है. प्रधानमंत्री ने किया था साॅयलो प्रोजेक्ट का शिलान्यास
केडीएच परियोजना के महत्व को इससे समझा जा सकता है कि यहां बन रहे साॅयलो प्रोजेक्ट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत 15 नवंबर 2023 को किया था. उस पर तेजी से काम चल रहा है. जामुनदोहर बस्ती वालों के बीच 2.37 करोड़ 92 हजार 542.15 रुपये का भुगतान किया गया है. जामुनदोहर बस्ती खाली कराने का मामला पूरे कोल इंडिया में उदाहरण बन गया है. इस घटना से लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से केडीएच पर एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने की तैयारी चल रही है.
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