छपरा. सारण में अब बाढ़ की स्थिति समाप्त हो गयी है और सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न होने लगी है. नहरों में पर्याप्त जल नहीं आया है. कई नहर तो बिल्कुल सुखा हैं. किसानों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी है. क्योंकि सारण में 30 फ़ीसदी से अधिक रोपनी का कार्य हो चुका है और किसानों को डर लग रहा है की कही यह सुख न जाये. बोरिंग और पंपिंग सेट से धान की खेती करना बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होता है. हालांकि बाढ़ नियंत्रण विभाग के इंजीनियर जलस्तर घटने के बावजूद सभी बांध और नदियों पर निगाह गड़ाये हुए हैं. क्योंकि उनका कहना है कि पिछली बार कि उन्हें सीख मिली है कि अचानक अक्टूबर माह में नदियों का जलस्तर बढ़ गया था और बाढ़ जैसे हालात हो गए थे ऐसे में अक्टूबर महीने तक नजर रहेगी. इधर जिला प्रशासन की तैयारी में कोई कमी नहीं देखी जा रही है जिलाधिकारी अमन समीर प्रतिदिन तैयारी की रिपोर्ट ले रहे है. किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन तैयार है.
नदी का नाम खतरे का निशान वर्तमान स्थिति
गंगा नदी 48.60 47.16
गंडक हाजीपुर 50.32 47.63
गंडक रेवा 54.41 53.50
घाघरा सिसवन 57.04 55.79
घाघरा छपरा 53.68 49.21
यहां से आ रहा अधिक पानी
-गंडक बैराज से छोड़ा गया पानी-1.39500 क्यूसेक
-नेपाल से छोड़ा गया पानी-1.58895क्यूसेक
एडीएम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का किया दौरा
एडीएम सारण शंभू शरण पांडे ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का दौरा करते हुए वहां के अधिकारियों को निरंतर जल स्तर पर नजर बनाए रखने का आदेश दिया. मौके पर मौजूद बाढ़ नियंत्रण विभाग के कार्यपालक अभियंता संजय कुमार को पल पल की स्थिति की रिपोर्ट जिलाधिकारी को देते रहने का आदेश दिया ताकि समय पर किसी भी स्थिति से निपटा जा सके वैसे बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि जलस्तर लगातार घट रहा है. बाढ़ जैसी स्थिति नहीं है पहले जो पानी खेतों में आ चुका था वह अब सुख रहा है. एडीएम ने रेवा घाट, मकेर, दरियापुर के आसपास के इलाकों का निरीक्षण किया इस दौरान वहां के अंचलाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, बाढ़ नियंत्रण के पदाधिकारी के साथ बैठक का आवश्यक दिशा निर्देश दिया.
क्या कहते हैं अधिकारी
14 जुलाई की सुबह से सभी नदियों के जलस्तर में लगातार कमी हो रही है. यह कमी 3 फीट से लेकर 5 फीट के लगभग है. फिर भी अक्टूबर महीने तक नदियों के जलस्तर पर नजर रहता है. संजय कुमार,कार्यपालक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण
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