गोपालगंज. सदर अस्पताल में मरीज भगवान के भरोसे है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से कड़ा एक्शन नहीं लिये जाने से मरीजों की जान से खिलवाड़ हो रहा है. सदर अस्पताल में आने वाले मरीजों से निजी नर्सिंग फल-फूल रही है. ये हम नहीं राज्य स्वास्थ्य समिति के सहायक निदेशक डॉ मनीष रंजन की टीम ने जांच में तथ्य पाये, उससे होश उड़ जायेंगे. टीम में सिविल सर्जन डॉ बीरेंद्र प्रसाद भी शामिल थे. प्रसव वार्ड में ताला लगा हुआ था. कोई डॉक्टर नहीं था. कर्मियों की तलाश हुई वे भी गायब मिले. ओटी कक्ष में ताला बंद मिला. कोई कर्मी नहीं था. सहायक निदेशक ने तत्काल प्रभाव से डॉक्टर व गायब कर्मियों के वेतन पर रोक लगाने का आदेश दिया. इमरजेंसी में आने वाली का प्रसव कराने का भी इंतजाम नहीं मिला. इस पर डॉ मनीष रंजन ने कड़ी फटकार लगायी. अस्पताल उपाधीक्षक व अस्पताल प्रबंधक पर भी नाराजगी जतायी.. स्थिति में सुधार लाने का आदेश दिया. हद तो तब हो गयी, जब सहायक निदेशक इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे. वहां ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर विमान केशरी गयाब मिले. उनके वेतन को तत्काल काटते हुए जवाब-तलब करने का निर्देश दिया. वहीं, सदर अस्पताल के दवा वितरण केंद्र की जांच के दौरान उप निदेशक ने पाया कि दवा की सूची में 280 है, जबकि महज 78 दवाएं ही केंद्र पर मौजूद थीं. बाकी दवाएं कहां हैं. डॉ मनीष ने दवा केंद्र पर तैनात कर्मियों को छह घंटे के भीतर 280 दवाएं उपलब्ध कराने का आदेश दिया. नहीं तो वेतन पर रोक लगाकर विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया. भंडारपाल शैलेश कुमार सिन्हा, रामाशंकर यादव, जिला दवा भंडारपाल विनय कुमार का वेतन अगले आदेश तक रोका गया. उधर, सिविल सर्जन को सदर अस्पताल में बेहतर इंतजाम करने का आदेश डॉ मनीष रंजन ने दिया. इमरजेंसी, महिला प्रसव वार्ड में 24 घंटे की इलाज का इंतजाम कराया. मरीजों को बाहर से दवा नहीं लेनी पड़े. इसके लिए स्टोर में दवाओं की उपलब्धता की खुद जांच करते रहे. लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
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