– फोटो कैप्शन- गिरफ्तार आरोपित. व्यवहार न्यायालय का फाइल फोटो प्रतिनिधि, नवादा कार्यालय व्यवसायिक जमानतदार बनने व गलत शपथ-पत्र दाखिल करने के आरोप में छह जमानतदारों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत के कार्यालय लिपिक की शिकायत पर नगर थाने में दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद पुलिस ने उक्त सभी जमानतदारों को गिरफ्तार कर शनिवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. बताया जाता है कि चतुर्थ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में लंबित सेशन ट्रायल संख्या-173/24 के दो अभियुक्त अशोक कुमार व संतोष कुमार के जमानत आवेदन को स्वीकार करते हुए अदालत ने दोनों आरोपित को 10-10 हजार रुपये के दो मुचलके पर मुक्त किये जाने का आदेश निर्गत किया. आदेश के आलोक में दोनों आरोपितों ने नगर थाना क्षेत्र के बरडीहा गांव निवासी चामो यादव के पुत्र सुखदेव यादव, मुफस्सिल थाना क्षेत्र के पथरा टोला पूर्णडीहा निवासी काशी प्रसाद के पुत्र रामाशीष प्रसाद, वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के मकनपुर गांव निवासी जिक्षा सिंह के पुत्र रवींद्र सिंह तथा नेमदारगंज थाना क्षेत्र के बड़ैल गांव निवासी धनु चौहान के पुत्र प्रेमण चौहान ने उन दोनों आरोपितों के जमानतदार बनकर अदालत में उपस्थित हुए थे. चारों जमानतदारों ने शपथ-पत्र के माध्यम से यह भी उद्घोषणा किया कि वे पूर्व में जमानतदार नहीं बने हैं. किंतु अधिवक्ता लिपिक, संबंधित अदालत के कार्यालय लिपिक व परिचारी के द्वारा पूर्व में भी जमानतदार बनने की बात अदालत के समक्ष रखा. न्यायाधीश के आदेश पर कार्यालय लिपिक अमित कुमार ने प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को आवेदन दिया. उक्त आवेदन को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए नगर थाना भेजा गया. जबकि, आत्मसमर्पण करने वाले दोनों आरोपित को जेल भेज दिया गया. सप्तम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने सेशन ट्रायल संख्या-363/16 के आरोपित सुनीत महतो को भी अदालत से जमानत प्राप्त हुआ था. अदालत ने आरोपित को 10 हजार के दो मुचलके पर मुक्त किये जाने का आदेश निर्गत किया. आदेश पश्चात वारिसलीगंज थाना क्षेत्र के मकनपुर गांव निवासी सुरेश सिंह का पुत्र टुन्नु सिह व नगर थाना क्षेत्र के ददौर अकौना बाजार निवासी कारू राम का पुत्र शरण राम जमानतदार के रूप में अदालत में उपस्थित हुए. इन दोनों जमानतदार ने भी शपथ पत्र के माध्यम से यह उद्घोषणा किया कि पूर्व में जमानतदार नहीं बने हैं, जबकि अधिवक्ता लिपिक, कार्यालय लिपिक व परिचारी ने पूर्व में भी जमानतदार बनने की बात कही. अदालत के आदेश पर कार्यालय लिपिक ने प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को आवेदन दिया, जिसे प्राथमिकी दर्ज करने के लिए नगर थाना भेजा गया. इस मामले को लेकर अदालत ने कहा कि गलत शपथ-पत्र दाखिल करना व व्यवसायिक जमानतदार बनना एक संगीन अपराध है.
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