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ओपीडी में डॉक्टर काैन, ये व्यवस्था में भी दिखे

ओपीडी में डॉक्टर काैन, ये व्यवस्था में भी दिखे

-क्षेत्रीय अपर निदेशक ने की समीक्षा, दिये निर्देश-पीएचसी प्रभारियों से डॉ ज्ञान रंजन ने कहा-मरीज बहुत कम अटेंड हो रहे हैं मुजफ्फरपुर. जिला के पीएचसी में डॉक्टर के साथ-साथ दवाएं व अन्य सुविधाएं मरीज को नहीं मिल रही हैं. पीएचसी में महज 136 मरीज ही देखे जा रहे हैं. आइपीडी में एक भी मरीज नहीं अटेंड हो रहा है. पीएचसी के दवा काउंटर पर 130 प्रकार की ही दवाएं उपलब्ध रहती हैं, वहीं आइपीडी में 96 प्रकार की दवा हैं. यह बातें क्षेत्रीय अपर निदेशक डाॅ. ज्ञान रंजन ने कहीं. उन्होंने पीएचसी का शुक्रवार को निरीक्षण किया तो ये तथ्य सामने आए. उन्होंने समीक्षा के बाद पीएचसी को कई दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने पीएचसी प्रभारियों को निर्देश दिया कि ओपीडी से लेकर आइपीडी में जो मरीजों की संख्या अभी है, उन्हें अटेंड करने में इजाफा दिखे. दवाएं अगर नहीं है तो उसका इंटेंड कर सेंटर के दवा भंडार से मंगवा लें. पीएचसी में डॉक्टर से लेकर नर्स तक का रोस्टर नहीं लगा दिखा. जबकि रोस्टर बाहर लगना चाहिए. मरीजों को पता चलना चाहिए कि आज किस डॉक्टर की ओपीडी है. प्रसव कक्ष में सफाई व्यवस्था सही नहीं दिखी है. उसकी सफाई कराने के साथ ही प्रसव के लिए आनेवाली महिलाओं को बेहतर सुविधा दें. सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ही मरीजों की संख्या कम होती जा रही है. गर्भवती व नवजात शिशुओं का रिकॉर्ड जिला स्वास्थ्य विभाग के पास प्रमंडल में सबसे निचले स्थान पर है. आरसीएच पोर्टल पर गर्भवती माता का पंजीकरण मात्र 36.9 व नवजात शिशु का 33.99 प्रतिशत है. यह तिरहुत प्रमंडल में सबसे कम है. क्षेत्रीय अपर निदेशक ने सिविल सर्जन काे रजिस्ट्रेशन कम हाेने वाले पीएचसी पर कार्रवाई करने के निर्देश दिये. समीक्षा में पाया गया कि कांटी में गर्भवती का 18.97 व नवजात का 16.2, मुशहरी में गर्भवती माता 7.1 व नवजात 60.15, सरैया में गर्भवती 20.13 और नवजात 28.7, पारू में गर्भवती 30.3 व नवजात 39.5, कुढ़नी में गर्भवती 25.99 व नवजात का 21.2 प्रतिशत ही रजिस्ट्रेशन किया गया है. जबकि, मानक के अनुसार कम से कम 70 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है. ——– सीएस से की शिकायत, एमसीएच में रात में डॉक्टर ही नहीं मुजफ्फरपुर.एमसीएच में डॉक्टर के लगातार नहीं रहने से बिना इलाज कराये वापस जा रही एक दर्जन से अधिक महिलाओं ने सीएस से शिकायत की है. कहा कि रात को प्रसव कराने के लिए पहुंचने वाली महिलाओं और शिशुओं को विशेषज्ञ नहीं देखते हैं. क्योंकि वे रात में मौजूद ही नहीं रहते. ऐसे में अगले दिन के ओपीडी का इंतजार करना पडता है. बच्चे को डॉक्टर की जरूरत पड़ जाय तो वह निजी अस्पताल में बच्चे को दिखाने जाती हैं. इस शिकायत के बाद सीएस ने शिशु रोग विशेषज्ञ से जवाब तलब किया है. सीएस ने अधीक्षक व अस्पताल प्रबंधक से शिशु रोग विशेषज्ञ का रोस्टर भी मंगाया है. शनिवार देर रात कोल्हुआ दादर से आयी नेहा, बोचहां से आयी कंचन व अन्य गर्भवतियों को रात में महिला डॉक्टर नहीं रहने से निजी अस्पताल जाना पड़ा. उपाधीक्षक डाॅ एके चाैधरी ने कहा कि शिकायत मिली है. ड्यूटी पर जो महिला डॉक्टर थी, उन्हें शोकॉज किया गया है.

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