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परमिट बगैर भी चलती हैं लंबी दूरी के लिए बसें

बिहार में बिना परमिट या परमिट लेने के बाद नियमों का उल्लंघन करके लंबी दूरी के कॉमर्शियल बसों का परिचालन बिहार और दूसरे राज्यों में हो रहा है.

प्रह्लाद कुमार, पटना बिहार में बिना परमिट या परमिट लेने के बाद नियमों का उल्लंघन करके लंबी दूरी के कॉमर्शियल बसों का परिचालन बिहार और दूसरे राज्यों में हो रहा है. विभागीय सूत्रों के मुताबिक लंबी दूरी में विभिन्न जिलों से चलने वाली बसों में सबसे अधिक झारखंड, यूपी और दिल्ली के लिए चलायी जाती हैं. इनमें अधिकतर बस पर्यटन परमिट लेते हैं और अधिकारियों की मिली भगत से दूसरे राज्यों में बिना किसी परमिट के चल रही है. परिवहन विभाग ने हाल में ही विशेष जांच अभियान चलाकर बिना परमिट के परिचालित 39 बसों एवं मोटरवाह को जब्त किया है. पटना सहित अन्य जिलों से चलने वाली लगभग 10 प्रतिशत बसों के मालिकों के पास परमिट के नाम पर कुछ नहीं है, लेकिन मुजफफरपुर, दरभंगा, गया, बेगूसराय व किशनगंज सहित अन्य जगहों से दिल्ली बाॅर्डर तक चलती हैं.विभाग भी इन गाड़ियों के फर्जीवाड़ा को देखते हुए हर दिन जांच नहीं करता है. इस कारण से इन गाड़ियों का फिटनेस और इंश्योरेंस तक अपडेट नहीं रहता है और गाड़ियां दुर्घटनाग्रस्त होती हैं. राज्यभर में कॉमर्शियल बसों का परमिट भले ही 26 सीट का लेते हैं, लेकिन जब लोगों को बस में बिठाना होता है, तो सीट से डबल लोगों को बिठाते हैं. जब यातायात पुलिस, जिला परिवहन के अधिकारी बसों की जांच करते हैं, तो उस बस की सीटों की संख्या और अधिक लोगों के बैठे होने के बाद भी कार्रवाई नहीं करते. इसके एवज में बस मालिक और अधिकारियों के बीच कई बार लेन-देन का मामला सरकार तक पहुंचा है. स्कूल बस मालिकों की बढ़ रही हर साल कमाई राज्यभर के स्कूलों में चलने वाले बसों में 25, 32 व 54 सीटें है, जिसके लिए बस अधिकारी वाहन निरीक्षण करने के बाद बस चलाने के लिए परमिट देते हैं, लेकिन बसों में दो की जगह तीन व बस के केबिन में भरकर बच्चों को स्कूल से घर तक पहुंचाया जाता है, लेकिन बस मालिक टैक्स उतना ही भरते है. जितती सीट का परिमट उन्हें मिला होता है. इसके बावजूद खुलेआम स्कूली बच्चों को बसों में भर-भर कर स्कूल से घर पहुंचाया जाता है.

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