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2030 तक साल में 78,50,000 नौकरियों का सृजन करना बेहद जरूरी

Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि नौकरियों से ज्यादा आजीविका पैदा करने के बारे में सहायक है. इसके लिए सभी स्तर पर सरकारों और निजी क्षेत्र को मिलकर प्रयास करना होगा. इसमें कहा गया है कि कार्यबल में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटकर 2047 में 25 फीसदी रह जाएगी.

Economic Survey: लोकसभा में सोमवार 22 जुलाई 2024 को पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में रोजगार सृजन पर जोर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि देश में बढ़ते वर्कफोर्स को देखते हुए वर्ष 2023 तक साल में औसतन 78,50,000 नौकरियों को सृजित करने की जरूरत है. आर्थिक सर्वेक्षण में रोजगार सृजन को लेकर दिए गए आंकड़े एक अनुमान हैं. सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि कामकाजी उम्र में हर कोई नौकरी की तलाश नहीं करेगा. उनमें से कुछ खुद का रोजगार करेंगे और कुछ नियोक्ता भी होंगे.

नौकरी देने में सरकारों और प्राइवेट सेक्टर को करना होगा प्रयास

लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि आर्थिक वृद्धि नौकरियों से ज्यादा आजीविका पैदा करने के बारे में सहायक है. इसके लिए सभी स्तर पर सरकारों और निजी क्षेत्र को मिलकर प्रयास करना होगा. इसमें कहा गया है कि कार्यबल में कृषि क्षेत्र की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घटकर 2047 में 25 फीसदी रह जाएगी, जो 2023 में 45.8 फीसदी थी. नतीजतन, भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते वर्कफोर्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक सालाना औसतन लगभग 78.5 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत है.

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पीएलआई में 60 लाख और कपड़ा में 20 लाख नौकरी की जरूरत

आर्थिक सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया है कि गैर-कृषि क्षेत्र में सालाना 78.5 लाख नौकरियों की मांग में पीएलआई योजना में 5 साल में 60 लाख और मित्र कपड़ा योजना में 20 लाख रोजगार सृजन के साथ मुद्रा जैसी मौजूदा योजनाएं पूरक भूमिका निभा सकती हैं. इसमें कहा गया है कि बढ़ते वर्कफोर्स को संगठित रूप देने और उन क्षेत्रों में रोजगार सृजन की सुविधा प्रदान करने, जो कृषि से स्थानांतरित होने वाले श्रमिकों को अपना सकते हैं और नियमित वेतन या वेतन रोजगार वाले लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ सुनिश्चित करने की चुनौतियां भी मौजूद हैं. समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकारें अनुपालन बोझ को कम करके और भूमि पर कानूनों में सुधार करके रोजगार सृजन में तेजी ला सकती हैं.

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