ठाकुरगंज. ठाकुरगंज आश्रम पाडा में अवस्थित हिन्दू मिलन मंदिर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर रविवार को गुरुपूजन हुआ. पूजन के दौरान रायगंज से आये स्वामी भुवन महाराज ने गुरु पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा की गुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है. गुरु पूजा के लिए आश्रम में पहुंचे भक्तो के बीच उन्होंने कहा की गुरु की पूजा से ही सभी देवी-देवता की पूजा हो जाती है. एकमात्र गुरु ही पूर्ण हैं बाकी सब अपूर्ण. उन्होंने कहा की गुरु के कृपा के बिना भवसागर पार करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्वको आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए यह पर्व आदर्श है. गुरु का आशीर्वाद सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.
आषाढ़ की पूर्णिमा ही क्यों है गुरु पूर्णिमा
इस दौरान रायगंज से आये स्वामी भुवन महाराजने कहा की आषाढ़ पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था. उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. आषाढ़ की पूर्णिमा को चुनने के पीछे गहरा अर्थ है. अर्थ है कि गुरु तो पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह हैं जो पूर्ण प्रकाशमान हैं और शिष्य आषाढ़ के बादलों की तरह. आषाढ़ में चंद्रमा बादलों से घिरा रहता है जैसे बादल रूपी शिष्यों से गुरु घिरे हों. शिष्य सब तरह के हो सकते हैं, जन्मों के अंधेरे को लेकर आ छाए हैं. वे अंधेरे बादल की तरह ही हैं. उसमें भी गुरु चांद की तरह चमक सके, उस अंधेरे से घिरे वातावरण में भी प्रकाश जगा सके, तो ही गुरु पद की श्रेष्ठता है. इसलिए आषाढ़ की पूर्णिमा का महत्व है! इसमें गुरु की तरफ भी इशारा है और शिष्य की तरफ भी. यह इशारा तो है ही कि दोनों का मिलन जहां हो, वहीं कोई सार्थकता है.
गुरु पुर्णिमा पर्व का महत्व
जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्व को बताते हुए उन्होंने कहा की आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए यह पर्व आदर्श है. व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा अंधविश्वास के आधार पर नहीं बल्कि श्रद्धाभाव से मनाना चाहिए. गुरु का आशीर्वाद सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. इस कार्यक्रम का संचालन प्रदीप दत्ता ने किया. इस मौके पर आयोजित भक्ति संगीत कार्यक्रम , होम, आरती के साथ प्रसाद वितरण का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया.
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