14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Economic Survey : ग्रामीण संकट और मनरेगा रोजगार का नही है सीधा संबंध

सोमवार को आए Economic Survey से यह बात साफ हो गई है कि ग्रामीण संकट और मनरेगा रोजगार का कोई सीधा संबंध देखने को नहीं मिलता है. तमिल नाडु और केरल की चर्चा भी खूब हो रही है. वहीं UP और बिहार का यह हाल है.

Budget से पहले सोमवार को संसद में जारी किए गए Economic Survey 2023-24 से पता चलता है कि मनरेगा योजना के तहत रोजगार की मांग सीधे तौर पर सूक्ष्म स्तर पर ग्रामीण इलाकों मे संकट बढ़ोतरी से संबंधित नहीं है. रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि केरल और तमिलनाडु जैसे राज्य, जहाँ गरीबी का स्तर कम है, इस प्रमुख ग्रामीण रोजगार पहल से मिलने वाले फंड का बेहतर उपयोग कर रहे हैं.

Tamil Nadu बना रहा नई मिसाल

Economic survey में पाया गया कि विभिन्न राज्यों में मनरेगा को लागू करने के तरीके में बहुत अंतर है. शोध मे यह पता लगाने की कोशिश करी गई हैं कि ये भिन्नताएँ क्यों हैं. अभी तक इसका स्पष्ट उत्तर सामने नहीं आया है. कुछ रिपोर्ट्स की माने तो मनरेगा कार्य की मांग में वृद्धि ग्रामीण इलाकों मे बढ़ती दिक्कतों की ओर इशारा करती है. FY 2023-24 के आंकड़े इस विचार के समर्थन मे खड़े नहीं उतरते हैं जैसे तमिलनाडु. Tamil Nadu मे देश की गरीब आबादी का बहुत छोटा प्रतिशत होने के बाद भी मनरेगा कोष मे लगभग 15 % हिस्सा इस राज्य का है.

Also Read : Aam Budget 2024 Live: बजट में बिहार को रेल, मेडिकल कॉलेज और एयरपोर्ट का तोहफा, आंध्र को वित्तीय सहायता

Also Read : Economic Survey : RBI को बंद करना चाहिए खाद्य inflation पर गौर करना

केरल, UP और Bihar के बारे मे यह बोलता है डाटा

Economic Survey मे इस बात का पता लगता है कि केरल में गरीबी दर काफी कम होने के बाद भी उन्होंने मनरेगा फंड का लगभग चार प्रतिशत इस्तेमाल किया है. दोनो राज्यों ने मिलकर 51 करोड़ व्यक्ति-दिवस का काम मुहैया कराया है. गरीब लोगों की बड़ी आबादी होने के बाद भी बिहार और उत्तर प्रदेश को रोजगार सृजन के लिए आवंटित धन का केवल 17% ही इस्तेमाल किया है. ये दोनो राज्य 53 करोड़ व्यक्ति-दिन रोजगार पैदा करने में सक्षम रहे.

Survey मे नही मिला कोई सीधा संबंध

Economic Survey इस बात को साफ करता है कि उच्च ग्रामीण बेरोजगारी दर वाले राज्यों ने वास्तव में पिछले वर्ष की तुलना में 2021-2022 में अधिक मनरेगा फंड की मांग नहीं की. मनरेगा डेटा से यह भी पता चलता है कि न्यूनतम मज़दूरी बढ़ाना एक टेंपररी सॉल्यूशन है और इसका प्रति व्यक्ति आय या गरीबी के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.

Also Read : Economic Survey : प्राइवेट सेक्टर के निवेश से देश मे बढ़ेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें