Economic survey: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा सोमवार 22 जुलाई 2024 को लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया. इस आर्थिक सर्वेक्षण में निर्माला सीतारमण ने भारत की आर्थिक व्यवस्था से जुड़ी अहम बातें बताएं. निर्मला सीतारमण द्वारा इस आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में बढ़ते बीमारियों और मोटापे से जुड़े चिंताएं जताई. समीक्षा में बताया गया कि भारत में करीब 54% बढ़ते बीमारियां और मोटापे के लिए चीनी एवं वसा से भरपूर प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ जिम्मेदार है. सोमवार को संसद में पेश किए गए आर्थिक समीक्षा में देश में बढ़ते बच्चों के भीतर मोटापे की बीमारी पर चिंता व्यक्त की गई. सरकार ने इसके लिए नागरिकों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने का उपाय बताया. इस समीक्षा के मुताबिक मोटापा भारत की आबादी के बीच एक गंभीर चिंता बना हुआ है.
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संतुलित जीवन और विविध आहार है जीने का सही आधार
निर्मला सीतारमण ने बताया कि अगर भारत भारत को आगे बढ़ाना है तो अपनी जनसंख्या की संरचना का फायदा उठाना होगा. जिसके लिए सबसे जरूरी आबादी के स्वस्थ मापदंडों का संतुलित और विविध आहार को महत्व देना होगा. इस समीक्षा में यह बताया गया की हाल के एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी और वसा से भरपूर अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के सेवन में वृद्धि के कारण लोगों के स्वास्थ्य में कमी आई है. और शारीरिक गतिविधियों में कमी तथा विविध खाद्य पदार्थ तक सीमित पहुंच के कारण लोगों में अधिक वजन जैसी समस्याओं की बढ़ोतरी हुई है. इस समीक्षा में यह पता चला कि ग्रामीण भारत की तुलना में शहरी भारत के लोग मोटापे से ज्यादा प्रभावित है. जहां शहरी भारत में यह दर 29.8% है वहीं ग्रामीण भारत में यह दर 19.3% है.
कौन सा वर्ग है ज्यादा प्रभावित
भारत में 18 से 69 वर्ग की आयु में मोटापे की समस्या में पिछले कुछ वर्षों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. जहां पुरुषों में पहले यह दर 18.9% था उसमें बढ़ोतरी होकर 22.9% हो गया. वहीं महिलाओं में जहां यह दर 20.6% था वह बढ़कर 24 परसेंट हो गया है. इस समीक्षा में यह कहां गया कि कई राज्यों में बढ़ती उम्र के साथ मोटापे की बीमारी और भी चिंताजनक हो जाती है. अगर लोगों को इस बीमारी के खिलाफ लड़ना है तो उन्हें स्वस्थ जीवन शैली अपनाना चाहिए.
किस राज्य के लोग है ज्यादा प्रभावित
इस समीक्षा में बताया गया कि देश की राजधानी दिल्ली में मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का दर 41.3% है जबकि पुरुषों में या 38% है. वहीं तमिलनाडु जैसे शहरों में पुरुषों में यह दर 37% है और महिलाओं में 40.4% है. जबकि आंध्र प्रदेश में पुरुषों में यह दर 31.1% है और वहीं महिलाओं में 36.3% है. समीक्षा में कहा गया कि अगर भारत की कामकाजी आबादी को अच्छे स्वास्थ्य की जरूरत है. जिसके लिए उन्हें सोशल मीडिया, मोबाइल एवं कंप्यूटर स्क्रीन पर बिताने वाले समय को अपने स्वास्थ्य पर देना चाहिए. क्योंकि अगर देश की आबादी ऐसी बीमारियों से ग्रसित होगी तो भारत की आर्थिक क्षमता को घाटा पहुंचेगा.
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