Shani Chandra Grahan: भारत में कल शनि ग्रह का चंद्र ग्रहण दिखाई देने वाला है. भारत में ऐसा अद्भुत नजारा 18 साल बाद देखा जाएगा. वैज्ञानिकों के अनुसार 24 और 25 जुलाई की मध्य रात्रि में कुछ घंटों के लिए नजर आएगा. हालांकि इस खगोलीय घटना को इसे नंगी आंखों से देखा जा सकेगा. इस खगोलीय घटना को वैज्ञानिकों ने लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न कहा है. शनि का चंद्र ग्रहण तब होता है, जब चांद अपनी ओट में शनि को छिपा लेता है.
शनि का चंद्र ग्रहण कल
ज्योतिषाचार्य श्रीपति त्रिपाठी ने बताया कि शनिदेव का यह चंद्रग्रहण कुछ लोगों के लिए शुभ रहेगा, तो वहीं कुछ लोगों के लिए बहुत ही कष्टकारी रहेगा. हालंकि कि कुछ राशियों पर शनिदेव की कृपा से चंद्रमा का दोष समाप्त हो जाएगा. वहीं कुछ राशियों को आने वाले समय में सतर्क रहना होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि शनि देव के चंद्रमा के पीछे छिप जाने से चंद्रमा के किनारे से शनि के छल्ले में नजर आते हैं. शनि के चंद्रमा के पीछे छिप जाने से चंद्रमा के किनारे से शनि के रिंग में नजर आते हैं. दुनियाभर के खगोल विज्ञानी और एस्ट्रोनॉट रिसर्च के लिए इस घटना का इंतजार कर रहे हैं.
कल दुर्लभ खगोलीय घटना
24 जुलाई की रात 1 बजकर 30 मिनट से यह शुरू होगा और धीरे-धीरे बढ़ेगा, इसके 15 मिनट बाद 1 बजकर 45 मिनट तक चंद्रमा, शनि ग्रह को पूरी तरह से ढक लेगा. फिर 45 मिनट बाद यानी 2 बजकर 25 मिनट पर शनि ग्रह चंद्रमा के पीछे से निकलता हुआ नजर आएगा. वैज्ञानिकों के अनुसार, आमतौर पर चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण के बाद लगता है, लेकिन ऐसी दुर्लभ खगोलीय घटनाओं का दृश्य कई वर्षों में ही देखने को मिलता है. इससे पहले मार्च में चंद्र ग्रहण देखा गया था
श्रीलंका, चीन और म्यांमार में दिखेगा चंद्र ग्रहण
भारत के अलावा पड़ोसी देशों श्रीलंका, म्यांमार और चीन में भी शनि का चंद्र ग्रहण होगा. भारत के अलावा पड़ोसी देशों में शनि का चंद्र ग्रहण अलग होगा. इन श्रीलंका, म्यांमार और चीन में भी दिखाई देगा. शनि का चंद्र ग्रहण यानी लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न होने की वजह ये है कि जब अपनी गति से चल रहे दोनों ग्रह रास्ता बदलते हैं तो शनि चंद्रमा के पीछे से उगता दिखता है. इसमें सबसे पहले शनि के छल्ले नजर आते हैं.
अक्तूबर में दोबारा आएगा नजर
विशेषज्ञों के मुताबिक, आसमान में यही नजारा इस साल दोबारा अक्तूबर में भी नजर आएगा. तीन महीने बाद 14 अक्तूबर की रात एक बार फिर शनि का चंद्र ग्रहण आसमान में होगा. हालांकि, इस ग्रहण को देखने के लिए लोगों को किसी विशेष चश्मे की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन शनि के छल्ले देखने के लिए छोटी दूरबीन की जरूरत पड़ सकती है.