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बजट में सड़क के क्षेत्र में पूर्णिया को मिला तोहफा, रेल में मिली निराशा

सत्तापक्ष ने बजट को सराहा तो विपक्ष ने कहा निराशाजनक

सत्तापक्ष ने बजट को सराहा तो विपक्ष ने कहा निराशाजनक

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के लिए मंगलवार को लोकसभा में पेश किया. बजट को लेकर

जहां सत्ता पक्ष ने जहां खुशियों से भरी सौगात कहा है वहीं विपक्ष ने निराशाजनक बताया. पेश बजट में

पटना से पूर्णिया एक्सप्रेस वे की मंजूरी मिलने से लोगों को थोड़ा सुकून मिला है लेकिन रेल के क्षेत्र में लोगों को निराशा हाथ लगी. इधर,

विपक्ष ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने पर केंद्र सरकार को कोसा है.

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1. बजट में उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत वर्ष 2023-24 के निश्चित रूप से संतुलित बजट है. भले ही इस बजट में महंगाई को रोकने की दिशा में किसी बड़े कदम की बातें नहीं की गयी है. बजट से सबसे बड़ा लाभ आयकर दाताओं को हुआ है. पिछले 8 वर्षों में पहली बार टैक्स के स्लैब में बदलाव हुआ है. यह मध्यमवर्गों के लिए बहुत ही राहत है. एम एस एम ई के उद्यमियों के लिए ब्याज दर में छूट की से उद्योगों को मिलेगा बैंक कानून में संशोधन की बातें समय की मांग है. बाजार में बाजार को प्रोत्साहित करने की भी अनेक योजनाओं की चर्चा की गई है, जो अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आवश्यक भी है.

डा. सतीश कुमार साहा, प्रध्यापक, वाणिज्य संकाय

फोटो. 23 पूर्णिया 5- डॉ.सतीश कुमार साहा

2. सभी वर्गों के लिए राहत

बेहद संतुलित बजट है. इसमें सभी वर्गों के लिए राहत है. सैलरीड पर्सन के लिए और निजी क्षेत्र के लोगों के लिए यह बजट बहुत ही बढ़िया है. इनकम टैक्स में भी राहत दी गयी है. रीयल स्टेट कारोबारियों को फायदा है. बिहार के लिए स्पेशल पॅकेज ही कहें पटना से पूर्णिया के लिए एक्सप्रेस हाइवे बड़ी चीज है. इस बजट में सभी वर्गों का ख्याल रखा गया है.

डॉ. संतोष कुमार वर्मा, प्राध्यापक वाणिज्य संकाय.

3. स्वागत योग्य है बजट

बजट में सरकार ने 1 करोड़ बेरोजगार युवा को इंटर्नशिप और मुद्रा लोन की सीमा 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने की घोषणा की है जो स्वागत योग्य है. पीएम आवास योजना में 3 करोड़ घर का निर्माण,कृषि क्षेत्र को 1.52 लाख करोड़ और शिक्षा ऋण के ब्याज में 3 प्रतिशत छूट देकर सराहनीय कार्य किया गया है.आयकर के स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा 75 हजार और पारिवारिक पेंशनर्स को 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार छूट देकर थोड़ी राहत दी गई है लेकिन नौकरी पेशा के लोगों को बजट ने निराश किया है.

ए के बोस, रिटायर्ड बैंक अधिकारी

फोटो. 23 पूर्णिया 6- एके बोस

4. इस बजट में कुछ खास नहीं

इस बजट में कुछ खास नहीं है. इस बजट में आम आदमी के लिए कुछ भी नहीं है. मध्यमवर्गीय परिवार के लिए बजट में कोई जगह नहीं दी गयी है. खुशी की बात है कि सड़क, हाइवे सहित अन्य चीजों को जगह दी गयी है. लेकिन दुःखद बात है कि मंहगाई कम करने के लिए कोई योजना सरकार के पास नहीं है और न ही इस बजट में कोई चर्चा हुई है. खाद्य सामग्रियों में कमी आये इसके लिए सरकार को ध्यान देना चाहिए.

सुप्रिया कुमारी

फोटो: 23 पूर्णिया 7- सुप्रिया कुमारी,

5. मध्यम वर्गों के लिए कुछ भी नहीं

बजट में रोज़मर्रा के इस्तेमाल के दाम कम हो, इसके लिए कोई जगह नहीं दी गयी है. खासकर सब्जियों और राशन की कीमतें आसमान छू रही है. बजट में आम आदमी को भी जगह मिलनी चाहिए थी. तमाम स्कीम निचले तबके के लोगों के लिए बनायी जाती है या बड़े उद्योगपतियों के लिए बनायी जाती है. मिडल क्लास या लोअर मिडिल क्लास को भी ध्यान में रखकर योजना बनें. बच्चों की स्कूल फीस से लेकर किताबों की कीमत कम हो इसके लिए भी बजट में जगह मिलनी चाहिए थी.

सपना कुमारी

फोटो: 23 पूर्णिया 8- सपना कुमारी

6. बजट में शिक्षा को नहीं मिली तवज्जो

देश के शिक्षा स्तर में सुधार करने की दिशा में पहल होनी चाहिए, लेकिन बजट में जगह नहीं दी गयी. प्राइवेट स्कूलों में स्कूल फीस हर साल बढ़ते जा रहा है. प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पठन-पाठन सामग्री(किताब-कॉपी) में काफी खर्चा आता है. किताब-कॉपी के दाम में कम हो, इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए. सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर रोक लगे. हम युवाओं की यही उम्मीद था कि बजट में शिक्षा को जगह मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बुजुर्गों के लिए बजट में विशेष महत्व देना चाहिए था.

चाहत यादव

फोटो: 23 पूर्णिया 9- चाहत यादव

7. पढ़ाई में आनेवाले खर्च पर ध्यान नहीं दिया

बजट में मोबाइल कम करने की जगह प्राइवेट स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के किताब-कॉपी सहित अन्य सामग्रियों को कम करना चाहिए था. ऐसा नियम लागू होना चाहिए जो कि प्राइवेट स्कूल के बच्चे कहीं भी किसी भी दुकानों से किताब, कॉपी, स्कूल ड्रेस सहित अन्य सामग्री खरीद सके. प्राइवेट स्कूलों को जिस दुकानों से कमीशन अच्छा खासा मिलता है उसी दुकानों में बच्चों के अभिभावकों को खरीदने के लिए दबाव दिया जाता है. इस ओर केंद्र सरकार को बजट में जगह देना चाहिए और इस ओर ध्यान देना चाहिए.

अभिषेक आनंद

फोटो:23 पूर्णिया 10- अभिषेक आनंद

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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