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नफरत के इस दौर में जानवर से प्यार, हर दिन खिलाते हैं कुत्तों को आहार

कमर आलम, अररिया. आज के इस नफरत के माहौल में जहां एक इंसान दूसरे इंसान से जाति धर्म के नाम पर नफरत कर रहा है, पूरा समाज जाति समुदाय व

कमर आलम, अररिया. आज के इस नफरत के माहौल में जहां एक इंसान दूसरे इंसान से जाति धर्म के नाम पर नफरत कर रहा है, पूरा समाज जाति समुदाय व धर्म के नाम पर एक दूसरे को संदेह की दृष्टिकोण से देखते हैं. ऐसे ही इस बदलते और नफरत के दौर में भी कहीं न कहीं इंसानियत आज भी जिंदा है. अररिया शहर के इस्लाम नगर निवासी सेवानिवृत्त खाद्य आपूर्ति पदाधिकारी अब्दुस सलाम व गर्ल्स हाई स्कूल की एचएमरही के पुत्र इंजीनियर संजर आलम इन दिनों काफी चर्चा में है. आज उन्हें शहर का बच्चा-बच्चा व सभी गली मुहल्ले का कुत्ता उन्हें पहचानने लगा है. कुत्तों से उनका लगाव व प्रेम देखने लायक है. जहां भी जिस मुहल्ले व गलियों में वे चलते हैं, उनके साथ एक दर्जन कुत्ता हमेशा साथ चलते हैं, यह सब उनके कुत्तों से प्यार व उनके आहार की व्यवस्था के कारण है.

विज्ञान व कंप्यूटर की शिक्षा देने वाले संजर को पशु प्रेम ने दोबारा जीवन देने की प्रेरणा

संजर आलम ने एमएससी करने के बाद कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद जब वे अररिया लौटे तो छात्रों के बीच वे काफी लोकप्रिय हो गये. बच्चों को विज्ञान व कंप्यूटर की शिक्षा देने लगे. उसके बाद आजाद एकेडमी स्कूल में सरकार द्वारा संचालित कंप्यूटर केंद्र के संचालक रहें. जहां से सैकड़ों बच्चों ने कंप्यूटर सीखा. इस दरम्यान पता नहीं किस कारण वो फ्रस्ट्रेशन व डिप्रेशन में चले गये. उसके बाद मानो इसकी पूरी जिंदगी ही एक तरह से बदल गयी. किसी से कोई मतलब नही अकेले रहना, पहनावा व अपने शरीर पर कोई ध्यान नहीं देना कुछ ऐसा लुक उनका हो गया कि लोग इन्हें अलग-अलग नाम से पुकारने लगे, जबकि उनके टैलेंट का आज भी लोग लोहा मानते हैं. अपनी जिंदगी को एक नई दिशा दे दी व जानवरों खासकर कुत्ता के प्रति उनका बढ़ता प्यार व लगाव परवान चढ़ता चला गया.

लोगों से चंदा लेकर करते हैं पशुओं की सेवा

हालांकि उनके पास पैसा नहीं रहने के कारण दुकानदार लोगों से पैसा लेकर बिस्किट व अन्य खाने का सामान हमेशा अपने साथ लेकर चलते हैं और किसी एक जगह पर बैठकर सभी कुत्ता को बिस्किट खिलाते शहर में कही भी नजर आ जाते हैं. जानवर के प्रति प्यार को लेकर जहां एक ओर लोग संजर की प्रशंसा करते हैं तो वहीं उन्हें आर्थिक मदद भी करते है. आज भी उन्हें पुरानी तमाम बातें याद है.

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