Gaya News एएनएमएमसीएच में मंगलवार की देर रात एक प्लंबर की मौत करेंट लगने से हो गयी. इस घटना के बाद साथी कर्मचारियों ने अस्पताल में काम बंद कर दिया. देखते-देखते अस्पताल परिसर खचाखच भर गया. इसमें मृतक के सहकर्मियों के साथ परिजन भी मौजूद थे. लोगों ने बताया कि यहां प्लंबर का काम करने भैरो स्थान गोदावरी का आकाश कुमार एक एजेंसी के माध्यम से करने आता था.
मंगलवार की रात तेज बारिश हो रही थी. इएनटी के बाहर पानी जमा हो गया. इसके बाद आकाश को वहां से पानी निकालने के लिए मोटर चलाने को कहा गया. वह मोटर चलाने का टोका लगाने गया, तो करंट की चपेट में आ गया. उसकी मौत वहीं पर हो गयी. बाद में साथियों ने उसे पड़ा देखा, तो उठा कर इमरजेंसी वार्ड ले गये. जांच के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. इसके बाद बुधवार को मुआवजा देने की मांग को लेकर हंगामा शुरू हो गया.
पहले बंद कराया ओपीडी
ओपीडी काउंटर खुला ही था कि हंगामा कर लोग काउंटर को बंद कराने पहुंच गये. बाहर से दिखाने आये मरीजों को कुछ समझ में नहीं आया. काउंटर कर्मचारी भी मृतक के समर्थन में चल दिये. पूरे अस्पताल में आउटसोर्सिंग स्टाफ के काम बंद करने के बाद अराजक स्थिति कायम हो गयी. ओपीडी बंद, साफ-सफाई तक बंद हो गयी. इमरजेंसी वार्ड में ही ओपीडी से मरीज दिखाने पहुंच गये. इसके चलते इमरजेंसी वार्ड में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. स्टेबल मरीज ट्रांसफर नहीं होने से इमरजेंसी का पूरा बेड, कुर्सी, ट्रॉली सब कुछ फुल हो गया. नये मरीजों का जमीन पर ही सुला कर इलाज किया जाने लगा.
मुआवजा देने के बाद मामला हुआ शांत
अधीक्षक कार्यालय में अधीक्षक डॉ विनोद शंकर सिंह, मेडिकल थानाध्यक्ष अनिल कुमार, इंस्पेक्टर शैलेश कुमार, चिकित्सा पदाधिकारी डॉ देव कुमार चौधरी, अस्पताल प्रबंधक नीरज कुमार सिंह, संतोष कुमार सिन्हा, राजद नेता विश्वनाथ यादव आदि की मौजूदगी में परिजन से बातचीत शुरू हुई. करीब दो घंटे तक चली वार्ता के बाद परिजन को बताया गया कि अस्पताल की ओर से एक लाख, संबंधित एजेंसी 50 हजार, मृतक की मां को एजेंसी के माध्यम से नौकरी, पेंशन, इसके बाद पीएफ का पैसा, शताब्दी योजना से दो लाख आदि देने का वादा किया गया. डेढ़ लाख रुपये नकद मृतक की मां को दिया गया. इसके बाद मामला को शांत किया जा सका.
घटना दुखद, परिजन को दी गयी सहायता
अस्पताल अधीक्षक डॉ विनोद शंकर सिंह ने बताया कि प्लंबर की मौत का दुख पूरे अस्पताल को है. एजेंसी के माध्यम से वह काम कर रहा था. इसके बाद अस्पताल की ओर से सभी के सहयोग लेकर एक लाख रुपये मृतक की मां को दिया गया है. एजेंसी से भी 50 हजार रुपये दिये गये. अन्य तरह की सहायता देने की बात कही गयी है. उन्होंने कहा कि इसके बाद ओपीडी खुल गया है. कर्मचारी भी काम पर लौट गये हैं.