झारसुगुड़ा. झारसुगुड़ा नगरपालिका में 51 लाख 89 हजार 191 रुपये के गबन का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मामले को लेकर बैंक प्रबंधन तथा नगरपालिका की ओर से झारसुगुड़ा थाना में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. पुलिस मामला दर्ज कर जांच में जुटी है. लेकिन इस मामले में बैंक में दिये गये दस्तावेज में जो दस्तखत हैं, वह तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी (इओ) का है या नहीं, यह जांच का विषय बना हुआ है. जिससे पुलिस की ओर से इन दस्तखत की जांच करने के लिए हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की मदद लेने का निर्णय लिया है. साथ ही इसकी विभागीय जांच से पहले वर्तमान के कार्यकारी अधिकारी ने विभागीय अधिकारियों को क्या रिपोर्ट भेजी है, इसे गुप्त रखा गया है. इस रिपोर्ट के आधार पर ही जांच शुरू की जायेगी.
आरटीजीएस फॉर्म में तत्कालीन इओ का हस्ताक्षर होने की बात कही गयी है
विदित हो कि एक वर्ष पहले ठेकेदार जगजीवन दास के एकाउंट में स्थानीय यूनियन बैंक की शाखा के तीन आरटीजीएस फॉर्म से यह रुपये ट्रांसफर किये गये थे. लेकिन इतनी बड़ी राशि ट्रांसफर किये जाने की जानकारी उस समय नगरपालिका प्रबंधन को क्यों नहीं मिली, यह भी जांच का विषय है. जबकि प्रत्येक माह बैंक एकाउंट व पास बुक आदि का मिलान करना व हर दो माह में काउंसिल बैठक में आय-व्यय का हिसाब पालिका की ओर से रखे जाने की व्यवस्था है. लेकिन इस पर एक बार भी कोई चर्चा नहीं हुई, जो संदेह पैदा करता है. साथ ही बैंक को दिये गये आरटीजीएस फॉर्म तथा पत्र में तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी के हस्ताक्षर होने की बात कही गयी है. जबकि परिषद की ओर से बिल का भुगतान करने के लिए नगरपालिका प्रबंधन की ओर से सभी औपचारिकता की गयी थी या नहीं, इसका जिक्र नही है. वहीं उक्त पेमेंट के लिए नोट शीट या जो पत्र नंबर में आरटीजीएस के लिए पत्र में उल्लेख किया गया है वह नगरपालिका की ओर से ईश्यू किये गये रजिस्टर के पत्र संख्या से मेल नहीं खा रहा है.
लाखों की धांधली के पीछे कौन-कौन है, इसका पता लगायेगी पुलिस
संबंधित ठेकेदार ने नगरपालिका में केवल स्पोर्ट्स पार्क का ही काम किया है. जिसकी कुल लागत 99 लाख रुपये है. उसने 14.99 प्रतिशत में टेंडर लिया था. काम खत्म होने के बाद उसका केवल 25 लाख रुपये सिक्योरिटी के बाबत नगरपालिका में जमा है. यदि उक्त 25 लाख रुपये उसके एकाउंट में आरटीजीएस के जरिये दिया जाता, तो उसे उसकी सिक्योरिटी का पैसा वापस मिला माना जाता. लेकिन वर्तमान इसका दो गुना पैसा ठेकेदार को मिल गया है और वह चुप बैठा है. जिससे पूरे मामले में संदेह पैदा हो रहा है. नगरपालिका में हुई लाखों रुपयों की इस धांधली के पीछे कौन-कौन है, इसका पता लगाने के प्रयास में झारसुगुड़ा पुलिस लगी है.
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