Budget session: संसद के बजट सत्र के चौथे दिन गुरुवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बीजेपी सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ-साथ टीएमसी के सांसद अभिषेक बनर्जी की टिप्पणियों की पृष्ठभूमि में कुछ निर्देश दिए. सदन की कार्यवाही शुरू होने के कुछ देर के बाद उन्होंने सांसदों से कहा कि सदन की मर्यादा रखें और आसन को चुनौती नहीं दें. लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के बाद कांग्रेस सांसदों ने गंगोपाध्याय की ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी का विषय उठाया था. इस पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि कोई भी सदस्य सदन की गरिमा को चोट पहुंचाने वाली टिप्पणी न करे. यदि काई ऐसा करता है तो यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.
क्या कहा संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि सदस्य चाहे सत्तापक्ष का हो या विपक्ष का हो, यदि वह सदन की गरिमा को चोट पहुंचाने वाली टिप्पणी करता है तो शब्दों को कार्रवाई से हटाया जाना चाहिए. ऐसा करने वाले पर उचित कार्रवाई करने या संबंधित टिप्पणी करने का अधिकार भी अध्यक्ष को ही है. रीजीजू के अनुसार, जब गंगोपाध्याय ने टिप्पणी की तो वह उस समय लोकसभा में नहीं, बल्कि राज्यसभा में थे.
ओम बिरला ने क्या किया आग्रह
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इस सदन की एक मर्यादा है. सदन की अपनी परंपरा और परिपाटी रही है. मेरा सभी सांसदों से आग्रह है कि वे अपनी बात रखें, चर्चा में भाग लें, लेकिन कोई ऐसी टिप्पणी नहीं करें जो संसद की मर्यादा को ठेस पहुंचाती हो. वैसे शब्दों का चयन न करें जो संसदीय परंपराओं के अनुकूल नहीं हो. कभी आसन से बहस नहीं करें या उसे चुनौती नहीं दें. बिरला का इशारा अभिषेक बनर्जी द्वारा बुधवार को सदन में की गई टिप्पणी की ओर था.
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क्यों हो रहा है हंगामा ?
लोकसभा में बुधवार को केंद्रीय बजट पर सामान्य चर्चा में भाग लेते हुए बीजेपी सांसद गंगोपाध्याय ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. उनके वक्तव्य के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने ‘गोडसे’ को लेकर कोई टिप्पणी की जिस पर पलटवार करते हुए गंगोपाध्याय ने उनके लिए एक आपत्तिजनक शब्द का इस्तेमाल किया. इसका विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया था और माफी की मांग की. वहीं, अभिषेक बनर्जी ने बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए जब नोटबंदी और लॉकडाउन का जिक्र किया था तो लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि साल 2016 के बाद दो बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. आप बजट पर बात कीजिए. इस पर बनर्जी ने अध्यक्ष से कहा कि जब सत्तापक्ष के सदस्य पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नाम लेते हैं या देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का नाम लेते हैं तो आसन उस पर चुप रहता है. कोई आपातकाल की बात करे तो अध्यक्ष चुप रहते हैं.