21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Kargil Vijay Diwas : दुश्मन पहाड़ी पर और भारतीय सैनिक पथरीले रास्ते में, उस रात बटालिक सेक्टर में क्या हुआ था?

Kargil Vijay Diwas : कारगिल युद्ध में पूरी लड़ाई रात के समय ही लड़ी जाती थी. दिन के वक्त पोस्ट से फायरिंग होती थी, लेकिन उसकी फ्रीक्वेंसी कम होती थी. रात को हमारी बटालिन ऊपर की ओर चढ़ाई करती थी. हम अपने इलाकों को उनसे मुक्त कराने के लिए ऊपर जा रहे थे. लेकिन उन्हें भी हमारे ऑपरेशन की जानकारी थी और वे भी बड़ी तैयारी से जमे बैठे थे. जब हम ऊपर की ओर जाते थे तो वे बहुत ज्यादा फायरिंग करते थे. हमारी ओर से भी फायरिंग बहुत हो रही थी. हमारी टीम के लीडर ओपी यादव थे.

Kargil Vijay Diwas : पाकिस्तानी सेना चोरों की तरह हमारे इलाके में घुसकर बैठी थी. हमारी बटालियन को जब वहां ऑपरेशन के लिए जाने का आदेश हुआ तो हम तैयारी के साथ चल पड़े. हमें बटालिक सेक्टर में मोर्चा संभालना था, बटालियन में 8-9 सौ लोग थे. इस इलाके की प्राकृतिक बनावट ऐसी है जो बहुत थकाने वाली है. पत्थरीले रास्ते और बर्फ की पहाड़ियां. परिस्थितियां बहुत विकट थीं, लेकिन हमारा हौसला बहुत बुलंद था. हमारे सामने लक्ष्य था अपनी जमीन से पाकिस्तानी घुसपैठिए को खदेड़ना. कारगिल युद्ध को याद करते हुए फर्स्ट बिहार रेजीमेंट के सूबेदार मंगल उरांव ने बताया कि हमारे सामने चुनौती यह थी कि दुश्मन पहाड़ की चोटी पर बैठा था और हमें उसे बाहर करने के लिए नीचे से ऊपर जाना था.

Kargil Vijay Diwas : कारगिल युद्ध में रात मे ही क्यों होती थी लड़ाई?

सूबेदार मंगल उरांव बताते हैं कि कारगिल युद्ध में पूरी लड़ाई रात के समय ही लड़ी जाती थी. दिन के वक्त पोस्ट से फायरिंग होती थी, लेकिन उसकी फ्रीक्वेंसी कम होती थी. रात को हमारी बटालिन ऊपर की ओर चढ़ाई करती थी. हम अपने इलाकों को उनसे मुक्त कराने के लिए ऊपर जा रहे थे. लेकिन उन्हें भी हमारे आॅपरेशन की जानकारी थी और वे भी बड़ी तैयारी से जमे बैठे थे. जब हम ऊपर की ओर जाते थे तो वे बहुत ज्यादा फायरिंग करते थे. हमारी ओर से भी फायरिंग बहुत हो रही थी. हमारी टीम के लीडर ओपी यादव थे. 

दबे पांव करते थे आक्रमण

पाकिस्तानी सेना के लोगों पर आक्रमण करने के लिए हमारे बटालिन के लोग चीते की चाल से चलते थे, जबतक उन्हें हमारी गतिविधि का पता चले, हम उन्हें दबोच लेते थे या फिर फायरिंग कर खत्म कर देते थे. हमारी आंखों के सामने गोलीबारी का दृश्य होता था और लक्ष्य एक ही था पाकिस्तानियों को उनकी किए की सजा देना और अपनी जमीन उनसे आजाद कराना. वे बंकर बनाकर बैठे थे, हम जैसे-जैसे उनसे जीतते जाते थे वे पीछे हटते जा रहे थे. 

Also Read : Kargil Vijay Diwas : पति की मौत एक महीना पहले ही हो चुकी थी, लेकिन पत्नी थी अनजान

कई बार हुई आमने-सामने की लड़ाई

युद्ध के दौरान कई बार ऐसा हुआ कि हम पाकिस्तानी सैनिकों के सामने थे. उस वक्त वे बौखलाकर फायरिंग करते थे. जवाब में हम भी फायरिंग करते थे, कितने मरे और कितने नहीं इसकी चिंता हम नहीं करते थे. जब वे फायरिंग करते थे, तब हम वहां की प्राकृतिक बनावट का फायदा उठाकर पहाड़ों के पीछे छिप जाते थे. हमारे साथ कई साथी शहीद भी हुए. उस वक्त हमारे अंदर बदले की भावना जागृत हो जाती थी और हम अपने एक के बदले उनके दस मारना चाहते थे. हमारा नारा जय बजरंग बली का था और आमने-सामने की लड़ाई में हमने इसका जयघोष किया भी.

पाकिस्तानी भागे और तिरंगा लहराया

ऑपरेशन विजय से पाकिस्तानी सैनिक यह समझ गए थे कि भारत उन्हें छोड़ने वाला नहीं है, हमारे कार्रवाइयों से उनकी हालत खराब हो गई थी, तब वे उन पोस्ट को छोड़कर भाग गए जहां वे जमकर बैठे थे. पाकिस्तानी सेना के कई सैनिक मारे भी गए. जब पाकिस्तान से हमने अपनी जमीन को मुक्त कराया और अपना तिरंगा वहां लहराया, तब जाकर हमें सुध आई, अन्यथा हम सिर्फ और सिर्फ युद्ध और गोलीबारी में ही व्यस्त थे.

दो-तीन दिन तक खाना नहीं मिलता था

युद्ध के दौरान स्थिति इस तरह की थी कि हम बहुत ऊपर थे और वहां तक खाना पहुंचाने में बहुत वक्त लगता था. इसकी वजह से हमें कई दिनों तक खाना नहीं मिलता था. खाने की तो बहुत चिंता भी नहीं रहती थी, लेकिन पानी की जरूरत होती थी, लेकिन वहां पानी भी उपलब्ध नहीं था. हम पहाड़ों के बर्फ को पिघलाकर ही पानी पीते थे और वही हमारे लिए जीवन रक्षक साबित हुआ था. 

Also Read : Kargil Vijay Diwas : वो चिट्ठी भेजे थे- मैं तुमसे मिलने आऊंगा, पर आई तिरंगे में लिपटी लाश; कारगिल शहीद बिरसा उरांव की पत्नी की आपबीती

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें