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किसान के रूप में नजर आये सीयूएसबी के स्टूडेट्स, की धान की रोपनी

कृषि की पढ़ाई महज किताबों और कक्षाओं में नहीं, बल्कि फील्ड आधारित वास्तविक अनुभवों पर होनी चाहिए. कृषि विज्ञान के छात्र स्वयं फसल की बुआई, कटाई और प्रसंस्करण का अनुभव प्राप्त करें यह आवश्यक है.

गया. कृषि की पढ़ाई महज किताबों और कक्षाओं में नहीं, बल्कि फील्ड आधारित वास्तविक अनुभवों पर होनी चाहिए. कृषि विज्ञान के छात्र स्वयं फसल की बुआई, कटाई और प्रसंस्करण का अनुभव प्राप्त करें यह आवश्यक है. सीयूएसबी उक्त तथ्यों को प्रमुखता से ध्यान में रखकर कृषि की शिक्षा को व्यावहारिक बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास कर रहा है. इसी क्रम में एग्रीकल्चर विभाग के छात्र – छात्राओं ने स्वयं आगे बढ़कर सीयूएसबी परिसर के कृषि फार्म में धान की रोपाई का उत्सव मनाया और खुद खेतों में धान रोपाई की. सीयूएसबी के कृषि विभाग के विद्यार्थियों ने माॅनसून की बारिश के बाद प्रायोगिक पाठ्यक्रम के तहत धान की रोपाई की. विद्यार्थियों ने विभागाध्यक्ष प्रो राम आशीष यादव एवं अन्य संकाय सदस्यों प्रो प्रभात कुमार सिंह, डॉ प्रणव त्रिपाठी एवं डॉ हेमंत कुमार सिंह के नेतृत्व में बड़े उत्साह के साथ कृषि फार्म में धान के पौधों की रोपाई की. यह जानकारी देते हुए सीयूएसबी के कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह ने विश्वविद्यालय के एग्रीकल्चर विभाग के पठन-पाठन पाठ्यक्रम के विशेषताओं को साझा करते हुए कहा है कि यह एक सराहनीय कदम है. वहीं जनसंपर्क पदाधिकारी (पीआरओ) मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि कुलपति ने धान की रोपाई उत्सव पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि हिंदुस्तान किसान है और किसान हिंदुस्तान है और किसानों की उपेक्षा करके विकसित भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है. कुलपति ने एग्रीकल्चर विभाग के प्राध्यापकों तथा विद्यार्थियों से अपेक्षा की है कि वे अपने सार्थक प्रयास से कृषि व्यवसाय को लोकप्रिय एवं रोजगार उन्मुख बनाएं.

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