रांची़ झारखंड हाइकोर्ट ने मॉडल जेल मैनुअल बनाने व राज्य की जेलों की व्यवस्था में सुधार को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान राज्य सरकार का पक्ष सुना. इसके बाद राज्य सरकार को केंद्रीय कारा हजारीबाग में रखे गये आजादी के पहले के ऐतिहासिक महत्व से संबंधित दस्तावेजों को सुरक्षित रखने के लिए शीघ्र सभी प्रक्रियाएं पूरी करने का निर्देश दिया. सरकार से पूछा कि राज्य की जेलों में कितने रिक्त पदों को अब तक भरा गया है. जेलों में कितने पद रिक्त रह गये हैं. जेल मैनुअल में सुधार को लेकर पीयूसीएल द्वारा दिये गये सुझाव के आलोक में राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है. सभी बिंदुओं पर राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया गया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने एक अगस्त की तिथि निर्धारित की. इससे पहले राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि ऐतिहासिक दस्तावेज को संरक्षित रखनेवाली केंद्र व बिहार सरकार की एजेंसी तथा जैप आइटी को पत्र लिखा गया था. बिहार सरकार की एजेंसी बिहार आर्काइव ने लाेकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग के ऐतिहासिक दस्तावेजों को सुरक्षित रखने को लेकर निरीक्षण भी किया है. उसने सरकार को कुछ सुझाव व गाइडलाइन दिया है. ऐतिहासिक दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन करने पर प्रस्ताव दिया. प्रस्ताव पर राज्य सरकार काम कर रही है. आधारभूत संरचना तैयार करने के लिए राज्य पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन को पत्र लिखा गया है तथा अनुमानित खर्च के संबंध में जानकारी मांगी गयी है. उल्लेखनीय है कि जेलों की व्यवस्था तथा मॉडल जेल मैनुअल लागू करने के मामले में हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि 1834 में स्थापित हजारीबाग स्थित केंद्रीय कारागार के ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए उसके रिकॉर्ड को संरक्षित रखने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं. केंद्रीय कारा हजारीबाग में स्वतंत्रता सेनानियों को रखा जाता था. वहां कई ऐतिहासिक दस्तावेज उपलब्ध हैं. वर्ष 1911 के पूर्व के सभी ऐतिहासिक दस्तावेजों को संरक्षित करना चाहिए.
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