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झारखंड के खान विभाग ने 10400 करोड़ रुपये की वसूली रॉयल्टी, सबसे अधिक कोयला से

खान विभाग को सर्वाधिक रॉयल्टी कोयला से मिलती है. लगभग 5500 करोड़ रुपये की रॉयल्टी केवल कोयला से मिलती है. वहीं लौह अयस्क से 3150 करोड़ के करीब रॉयल्टी आती है.

रांची: झारखंड के खान विभाग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में खनिजो से 10,400 करोड़ रुपये की रॉयल्टी वसूली है. इससे पहले वित्तीय वर्ष 22-23 में 9798.40 करोड़, 21-22 में 7477.41 करोड़, 20-21 में 4888.36 करोड़, 19-20 में 5165.82 करोड़ व 18-19 में 5974.34 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी.

सर्वाधिक रॉयल्टी कोयला से :

खान विभाग को सर्वाधिक रॉयल्टी कोयला से मिलती है. लगभग 5500 करोड़ रुपये की रॉयल्टी केवल कोयला से मिलती है. वहीं लौह अयस्क से 3150 करोड़ के करीब रॉयल्टी आती है. शेष रॉयल्टी पत्थर, सोना, यूरेनियम, बॉक्साइट, लाइम स्टोन, कॉपर व अन्य खनिजों से मिलती है. रॉयल्टी के अतिरिक्त झारखंड 1.36 लाख करोड़ रुपये का दावा केंद्र से करता रहा है.

लंबे समय से राज्य सरकार यह मांग करती आ रही है. झारखंड का 1.36 लाख करोड़ रुपये भी बकाया है. देर से ही सही, सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में फैसला दिया है. अब राज्य सरकार खदानों पर बकाये की वसूली के साथ-साथ सेस या अन्य टैक्स लगा सकती है.
विनोद पांडेय, महासचिव, झामुमो

राज्यों को खनिजों पर टैक्स लगाने का हक : सुप्रीम कोर्ट

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि खनिजों पर देय रॉयल्टी कोई टैक्स नहीं है. संविधान के तहत राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने का विधायी अधिकार है. इसके बावजूद संसद देश में निर्बाध खनिज विकास सुनिश्चित करने के लिए राज्यों की इस शक्ति को सीमित कर सकती है. सुप्रीम कोर्ट की नौ जजों की संविधान पीठ ने 8:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि संविधान की दूसरी सूची की प्रविष्टि-50 के अंतर्गत संसद को खनिज अधिकारों पर टैक्स लगाने की शक्ति नहीं है.

पीठ में सीजेआइ डीवाइ चंद्रचूड़, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्ज्ल भुइयां, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं. जस्टिस बीवी नागरत्ना ने मामले पर असहमतिपूर्ण फैसला दिया. उन्होंने फैसला पढ़ते हुए कहा कि राज्यों के पास खदानों तथा खनिज युक्त भूमि पर टैक्स लगाने का विधायी अधिकार नहीं है. वहीं, सीजेआइ ने कहा कि खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम (एमएमडीआर), 1957 राज्य को खदानों एवं खनिजों पर टैक्स लगाने से प्रतिबंधित नहीं करता है. इसके तहत रॉयल्टी टैक्स की प्रकृति में नहीं है. खदानों और खनिजों पर केंद्र की ओर से अब तक टैक्स वसूली के मुद्दे पर 31 जुलाई को सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से झारखंड और ओडिशा जैसे खनिज समृद्ध राज्यों को बढ़ावा मिलेगा.

35 वर्ष पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने रॉयल्टी को बताया था टैक्स

1989 में तमिलनाडु सरकार बनाम इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड केस में सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने कहा था कि खनिजों पर रॉयल्टी एक टैक्स ही है. 2004 में पश्चिम बंगाल बनाम केसोराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने कहा कि रॉयल्टी टैक्स नहीं है. 1989 और 2004 में सुनाये गये फैसले से विरोधाभास हुआ. इसे लेकर 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने रॉयल्टी से जुड़े मामले को नौ जजों की बेंच को सौंपा गया.

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