US Presidential Election 2024 : अमेरिका के राष्ट्रपति की चर्चा यूं तो विश्व में हमेशा होती रहती है, लेकिन अभी उसकी चर्चा ज्यादा इसलिए हो रही है क्योंकि अमेरिका में नवंबर महीने में राष्ट्रपति चुनाव होना है और जनवरी में अमेरिका को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा. अमेरिका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, यह जानने में सबकी रुचि है क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति को दुनिया का सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जाता है. अमेरिकी राष्ट्रपति के पास असीम अधिकार होते हैं और वो एक महाशक्ति है. अमेरिका के पहले राष्ट्रपति का नाम जॉर्ज वॉशिंगटन था अभी अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर जो बाइडेन हैं, जो अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति हैं, उनके बाद अमेरिका को 47वां राष्ट्रपति मिलेगा.
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में कौन हैं उम्मीदवार?
अमेरिका में दो द्वि दलीय प्रणाली है यानी दो ही पार्टी चुनाव लड़ती है. हमारे देश की तरह वहां बहुदलीय व्यवस्था नहीं है. अमेरिका में वर्तमान में डेमोक्रैटिक पार्टी की सरकार है. चुनावी मैदान में डेमोक्रैटिक पार्टी की ओर से कमला हैरिस उम्मीदवार हो सकती हैं, जबकि रिपब्लिकन के डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मैदान में हैं. डोनाल्ड ट्रंप 2017 से 2021 तक अमेरिका के राष्ट्रपति रह चुके हैं. वहीं कमला हैरिस जो भारतवंशी हैं,वर्तमान में अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं.
डेमोक्रैटिक पार्टी ने कमला हैरिस को चुनावी मैदान में नहीं उतारा था, लेकिन जो बाइडेन का स्वास्थ्य खराब होने के बाद कमला हैरिस को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में खुला समर्थन मिल रहा है. बराक ओबामा ने भी उन्हें सपोर्ट किया है, जिसके बाद यह तय माना जा रहा है कि कमला हैरिस ही डेमोक्रैटिक पार्टी की उम्मीदवार होंगी.
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चार साल में एक बार होता है अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव
अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव चार साल में एक बार होता है. अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनावी प्रक्रिया के बारे में प्रभात खबर से बात करते हुए डाॅ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी में पाॅलिटिकल साइंस की असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ रीना नंद ने बताया कि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव चार साल में एक बार होता है. यहां राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष (इनडायरेक्ट होता है यानी जनता सीधे तौर पर राष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट नहीं करती है, बल्कि इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य यह तय करते हैं कि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन होगा.
यहां कुल 538 वोट में से 270 वोट बहुमत के लिए चाहिए होता है. इलेक्टोरल कॉलेज या जिसे हिंदी में निर्वाचक मंडल कहा जाता है उसका चुनाव अमेरिकी संघ के राज्यों की जनता करती है. राज्यों की कांग्रेस और सीनेट के सदस्य अपना वोट देकर इलेक्टोरल कॉलेज का चुनाव करते हैं और इसका निर्धारण वहां की जनसंख्या के आधार पर होता है. अमेरिका में 50 राज्य हैं और वहां की जनता इलेक्टोरल कॉलेज का चुनाव करती है.
भारत के चुनाव से कितना अलग है अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव
अमेरिका में लोकतंत्र तो है, लेकिन वहां अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था है, जिसमें राष्ट्रपति का चयन होता है. जेएनयू के प्रोफेसर विनीत प्रकाश की अमेरिका और लैटिन अमेरिकी अध्ययन में विशेषज्ञता है. उन्होंने बताया कि अमेरिका में राष्ट्रपति का कैंडिडेट कौन होगा इसे लेकर बहुत ही लोकतांत्रिक व्यवस्था है और इसमें जनता की भागीदारी भी होती है. जबकि अपने देश में राजनीतिक पार्टियां अपने उम्मीदवार का चयन करती है और यह उम्मीद की जाती है कि जनता उन्हें अपना समर्थन देगी.
जब कैंडिडेट तय कर लिया जाता है तब उसकी घोषणा होती है. अमेरिका के 50 राज्यों में वोटिंग के लिए नियम भी अलग-अलग हैं. कई वोटिंग मशीन से वोट डाला जाता है, तो कहीं बैलेट पेपर से. अमेरिका में संघात्मक व्यवस्था है, जहां राज्यों के पास कई विशेष अधिकार हैं.
अमेरिकी चुनाव में डिबेट की परंपरा
अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में डिबेट की परंपरा काफी पुरानी है और आज के समय में इसका महत्व इतना ज्यादा हो गया है कि कई बार डिबेट ही हार-जीत का निर्धारण कर देते हैं. इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में भी डिबेट का महत्व साफ तौर पर नजर आया है. प्रारंभिक डिबेट के दौरान जो बाइडेन डोनाल्ड ट्रंप के सामने काफी कमजोर नजए आए. वे खुद को सही तरीके से पेश नहीं कर पाए, कई बार लड़खड़ाए और फैक्ट की गलती भी की, जिससे यह धारणा बन गई कि जो बाइडेन राष्ट्रपति पद के अगले और चार साल के लिए फिट नहीं है.
परिणाम यह हुआ कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अब राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में सामने हैं और जो बाइडेन को अपना नाम वापस लेना पड़ गया है. अमेरिका में डिबेट की परंपरा 1960 के दशक से है. जब अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार कैनेडी और निक्सन के बीच डिबेट हुई थी. टीवी डिबेट के दौरान निक्सन प्रजेंटबल नहीं थे और मुद्दों को भी उस तरह से पेश नहीं कर पा रहे थे, जिसकी वजह से निक्सन की चुनाव में हार हुई थी.