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कर्मनाशा मुख्य नहर को नहीं मिल रहा हिस्से का पूरा पानी

यूपी के मूसाखांड़ बांध में लेवल से ऊपर पानी भरा रहने के बावजूद भी कर्मनाशा नदी सूखी हुई है तथा कर्मनाशा मुख्य नहर में बिहार के हिस्से का पानी नाम मात्र का ही मिल रहा है.

कर्मनाशा. यूपी के मूसाखांड़ बांध में लेवल से ऊपर पानी भरा रहने के बावजूद भी कर्मनाशा नदी सूखी हुई है तथा कर्मनाशा मुख्य नहर में बिहार के हिस्से का पानी नाम मात्र का ही मिल रहा है. परिणाम स्वरूप नदी में पानी नहीं रहने से दुर्गावती प्रखंड अंतर्गत लरमा पंप कैनाल व विश्वकर्मा पंप कैनाल बंद हो गये है. दोनों कैनाल व नहर में पानी नहीं रहने से किसानों के खेतों में धान की रोपनी नहीं हो पा रही है, जिससे दर्जनों गांव के किसानों के बीच हाहाकार मचा हुआ है तथा किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ गयी है. कैमूर जिले के सिंचाई विभाग अधिकारियों द्वारा चंदौली जिले के अधिकारियों से बार-बार डिमांड करने के बाद भी अपने हिस्से का पानी बिहार के कर्मनाशा मुख्य नहर को नहीं मिल पा रहा है. जबकि, यूपी बिहार सरकार के समझौते के अनुसार कर्मनाशा मुख्य नहर को धान के सीजन में 300 क्यूसेक पानी देना है. इसके लिए बिहार सरकार यूपी सरकार को लाखों रुपये प्रतिवर्ष मेंटेनेंस के नाम पर भुगतान भी करती है, इसके बावजूद बिहार के हिस्से का पानी नाम मात्र का मिल रहा है. वर्तमान में 116 क्यूसेक पानी ही कर्मनाशा मुख्य नहर को मिल रहा है. जबकि, इतने कम पानी में अंतिम छोर तक पानी पहुंचाना मुश्किल है. दरअसल, दुर्गावती प्रखंड स्थित लरमा पंप व विश्वकर्मा पंप कैनाल कर्मनाशा नदी के पानी पर ही आश्रित है. अगर कर्मनाशा नदी में पानी रहेगा, तो दोनों पंप कैनाल चलेंगे, नहीं तो दोनों पंप कैनाल नहीं चल पायेंगे. लरमा पंप कैनाल से लरमा, जमुरनी, छाता, करारी, कुल्हड़िया, मौहरियां, कोट्सा, मदनपुरा आदि दर्जनों गांव के किसानों के खेतों की सिंचाई होती है. इसी तरह विश्वकर्मा पंप कैनाल से नुआंव, मसौढा, निपरान, कबिलासपुर सहित कई गांव के किसानों के खेत सिंचित होते हैं तथा इस पंप कैनाल से रामगढ़ प्रखंड क्षेत्र के भी कई गांवों के किसान विश्वकर्मा पंप कैनाल पर आश्रित है. यहां दोनों पंप कैनाल नहीं चलने से इन गांवों के किसानों की धान की रोपनी अब तक नहीं हो पा रही है. दुर्गावती प्रखंड में जीटी रोड के उत्तर तरफ मात्र पांच प्रतिशत ही धान की रोपनी अभी तक हो पायी है, जो सरकार के लिए भी चिंता का विषय है. कैमूर के सिंचाई विभाग अधिकारी जब 16 जुलाई को मूसाखाड़ व नौगढ़ बांध का जायजा लिया, तो उस समय मूसाखाड़ बाध में लेवल से 8 मीटर तथा नौगढ़ बांध में लेवल से 14 मीटर ऊंचा पानी भरा हुआ है. नौगढ़ बांध से मूसाखांड़ और मूसाखांड़ बांध से कर्मनाशा नदी से लतीफशाह बांध में पानी आता है. इससे फिर कर्मनाशा नदी में जल प्रवाहित होता है. वहीं, जिस नदी से दुर्गावती के दोनों पंप कैनाल संचालित होते हैं, दोनों बांधों में पानी भरा होने के बावजूद भी कर्मनाशा नदी सूखी है, जो चिंता का विषय बना हुआ है. -कर्मनाशा राइट मुख्य नहर को देना है 300 क्यूसेक पानी- यूपी व बिहार सरकार के समझौते के अनुसार बेंन हेड से कर्मनाशा मुख्य नहर को सीजन में 300 क्यूसेक पानी देना है, लेकिन फिलहाल बेन हेड से तीन दिनों से लगातार 116 क्यूसेक पानी ही छोड़ा जा रहा है. गुरुवार को सुबह में 116 क्यूसेक तथा दोपहर में 187 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. वहीं, शुक्रवार को भी सुबह में 116 क्यूसेक पानी कर्मनाशा मुख्य नहर में छोड़ा गया. इतने कम पानी में कर्मनाशा डेड तक पानी पहुंचाना मुश्किल है. इतना पानी चांद के ऊपर ही रह जा रहा है. – लतीफशाह बांध में 35 फुट 3 इंच भरा है पानी यहां से राइट व लेफ्ट दो नहरे निकली हुई हैं. राइट नहर से बिहार के कर्मनाशा मुख्य नहर को बेन हेड से पानी दिया जाता है. वहां से 12 किलोमीटर के बाद बिहार का इलाका शुरू होता है. लेफ्ट से यूपी के चार पांच कैनाल चलते हैं, जिनको पानी मिल रहा है. ये कैनाल चल भी रहे हैं. लेकिन बिहार के मुख्य नहर कर्मनाशा को अपने हिस्से का भी पानी नहीं मिल रहा है. कर्मनाशा नदी और कर्मनाशा मुख्य नहर में पानी नहीं रहने से बिहार के किसानों का हाल बेहाल हो गया है. रोपनी नहीं होने से किसानों की समस्याएं बढ़ गयी हैं. बिहार के सिंचाई विभाग के अधिकारी की यूपी के अधिकारी सुनने को तैयार नहीं है. जबकि, बांधों में पानी की कमी नहीं है. – बोले सिंचाई विभाग के अधिकारी इस संबंध में सिंचाई विभाग के कनीय अभियंता संतोष चक्रवर्ती ने बताया कि मैं 16 जुलाई को मूसाखाड़ व नौगढ़ बाध का जायजा लिया था. दोनों बांधों में पानी की कोई कमी नहीं है. कर्मनाशा मुख्य नहर राईट को इस समय तीन दिनों से 116 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है. गुरुवार की दोपहर 187 क्यूसेक पानी मिला है. बार-बार यूपी के एसडीओ जेअ से पानी बढ़ाने के लिए डिमांड की जा रही है, लेकिन पानी नहीं बढ़ाया जा रहा है. जबकि, बेन हेड नेट से पहले यूपी के चार-पांच कैनाल है, जो सभी कैनाल चल रहे हैं. इतने कम पानी में नहर का पानी कभी भी कर्मनाशा के टेल तक नहीं पहुंच सकता है. बोले यूपी के अधिकारी – इस संबंध में पूछे जाने पर यूपी बेन हेड सिंचाई विभाग के जेइ मनीराज ने बताया कि पानी की कमी है. जिस हिसाब से पानी आ रहा है, उसी हिसाब से कर्मनाशा मुख्य नहर को पानी दिया जा रहा है. बोले कैनाल के अधिकारी- लरमा पंप कैनाल के जेइ उमेश राय ने बताया मूसाखांड़ बाध में पानी की कमी नहीं है. कर्मनाशा नदी में पानी एकदम नहीं है, जिससे पंप कैनाल नहीं चल पा रहा है. जबकि, मूसाखाड़ बाध के फाटक के मेंटेनेंस के लिए बिहार सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष सिंचाई विभाग यूपी सरकार को 20 -25 लाख रुपये मेंटेनेंस खर्च दिया जाता है.

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