खगड़िया. मिथिलांचल संस्कृति से ओत-प्रोत मधुश्रावणी पूजा की गीत गूंजने लगी है. पति की लंबी आयु की कामना के लिए नवविवाहिता गुरुवार को ही चौदह दिनों के लिए संकल्प ले ली है. नवविवाहिता बहुत ही धूम-धाम के साथ दुल्हन के रूप में सजधज कर पूजा कर रही है. कथा के दूसरे दिन मनसा देवी, बिषहरी की कथा का श्रवण नवविवाहिता ने किया. कथा के बीच बीच में पारंपरिक गीत से माहौल भक्ति मय हो उठा. नवविवाहिता प्रत्येक दिन बांस द्वारा निर्मित डाली, साजी में रंग बिरंगे फूल तोड़ कर भगवान शिव, माता पार्वती, नाग, नागिन की पूजा कर रही है. समूह बनाकर घंटों गीत गाती है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लगातार तेरह दिनों तक पूजा स्थल पर नवविवाहिता की देख रेख में अखंड दीप प्रज्वलित रहती है. कथा वाचिका प्रत्येक दिन नवविवाहिता को मधुश्रावणी व्रत कथा सुना रही है. पूजा के समय नवविवाहिता नए वस्त्र में आभूषण से सुसज्जित होकर कथा श्रवण के साथ पूजा, अर्चना कर रही है. पंडितों का कहना है कि मधुश्रावणी पर्व कठिन तपस्या से कम नहीं है. पूजन स्थल पर मैनी (पुरइन, कमल का पत्ता) के पत्ते पर विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनायी गई है. महादेव, गौरी, नाग-नागिन की प्रतिमा स्थापित कर व विभिन्न प्रकार के नैवेद्य चढ़ा कर पूजन प्रारंभ कर रही है. इस व्रत में विशेष रूप से महादेव, गौरी, विषहरी व नाग देवता की पूजा की जाती है. नवविवाहिता समीक्षा, अंशु ने बताई कि श्रद्धा भक्ति के साथ पूजन पाठ किया जा रहा है. चारों तरफ से सहयोग मिल रहा है.
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