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तपस्या से कम नहीं है मधुश्रावणी व्रत

मधुश्रावणी व्रत को नवविवाहिताएं अपने पति की लंबी आयु के लिए श्रावण मास कृष्ण पक्ष की पंचमी से शुरू करती हैं. यह शुक्ल पक्ष की तृतीया तक चलता है.

पंजवारा.मधुश्रावणी व्रत को नवविवाहिताएं अपने पति की लंबी आयु के लिए श्रावण मास कृष्ण पक्ष की पंचमी से शुरू करती हैं. यह शुक्ल पक्ष की तृतीया तक चलता है. इस वर्ष यह पूजा 14 दिनों तक चलने वाली है, जो 25 जुलाई से शुरू हो गयी है. 7 अगस्त को संपन्न होगी. यह पूजा पूरे मिथिला ब्राह्मण समाज की कन्याओं को पूरे जीवन चक्र में एक ही बार करने का सौभाग्य प्राप्त होता है. इसी कड़ी में क्षेत्र के कई गांव में नवविवाहिता द्वारा यह पूजा पूरे विधि विधान के साथ हो रही है. व्रत में शिव पार्वती नागिन भगवान गणेश सहित अन्य देवी देवताओं की मूर्ति बनाकर 14 दिनों तक पूजा-अर्चना की जाती है. नवविवाहित ताऊ द्वारा ससुराल से भेयी गयी पूजन सामग्री, शृंगार सहित अन्य सामग्री के साथ पूजा की जाती है. रिवाज के अनुसार प्रत्येक दिन के पूजा के उपरांत भाई द्वारा उठाने की परंपरा है. इस प्रकार 14 दिनों तक चलने वाली यह पूजा कठोर तपस्या के समान है. पूजा के दौरान सुबह और शाम में महिलाओं द्वारा पारंपरिक गीत गाया जाता है. पूरे घर का माहौल भक्तिमय हो जाता है.

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