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नीतीश कुमार के पुत्र निशांत भजन सुनने के लिए स्पीकर खरीदने बाजार पहुंचे, राजनीति में एंट्री वाले सवाल का दिया जवाब…

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र निशांत भजन सुनने के लिए स्पीकर खरीदने बाजार पहुंचे. उन्होंने जानिए क्या कुछ कहा...

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एकलौते पुत्र निशांत एकबार फिर से सुर्खियों में हैं. दरअसल, सीएम नीतीश के बेटे निशांत शुक्रवार को पटना की एक दुकान पहुंचे थे जहां उन्हें कुछ सामान खरीदना था. इस दौरान मीडियाकर्मियों की नजर जब उनपर पड़ी तो कुछ सवाल भी लगे हाथ सीएम के पुत्र से कर लिए गए. निशांत ने बताया कि वो क्या खरीदने बाजार आए हैं. यही नहीं, जब निशांत से जब सवाल किया गया कि क्या वो राजनीति के मैदान में उतरने की इच्छा रखते हैं तो उन्होंने इसपर भी अपनी प्रतिक्रिया दी.

भजन सुनने के लिए स्पीकर खरीदने आए थे निशांत

सीएम नीतीश कुमार के पुत्र निशांत ने राजनीति में एंट्री की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है. निशांत शुक्रवार को पटना की एक दुकान में पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि वो आध्यात्मिक काम के लिए ही बाजार आए हैं. हरे कृष्ण हरे राम वाला भजन वो सुनते हैं. इसके लिए स्पीकर खरीदने यहां आए थे.

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क्या राजनीति के मैदान में उतरेंगे निशांत? दिया जवाब…

नीतीश कुमार के पुत्र निशांत से जब सवाल हुआ कि ऐसी चर्चा है कि निशांत राजनीति में एंट्री लेंगे तो इसका जवाब भी उन्होंने दिया.सीएम नीतीश के बेटे ने कहा कि वो आध्यात्म के रास्ते पर चल चुके हैं. कड़ी सुरक्षा के बीच निशांत वहां से निकल गए. तारामंडल के पास स्थित बाजार में इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की दुकान से उन्होंने खरीदारी की.

जब सुर्खियों में रहा था निशांत का नाम, अटकलों का बाजार गरमाया था

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुत्र निशांत राजनीति से हमेसा खुद को दूर ही रखते नजर आए हैं. परिवारवाद की राजनीति पर खुद नीतीश कुमार ही लगातार प्रहार करते दिखे हैं. हालांकि पिछले दिनों जब लोकसभा चुनाव का परिणाम आने वाला था अचानक निशांत का नाम सुर्खियों में आग गया. दरअसल, जदयू के वरिष्ठ नेता ने बयान दे दिया था कि समय और परिस्थिति की मांग है कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत को पार्टी और राज्य हित में आगे आना चाहिए. किसी ईमानदार और साफ-सुथरे नेता का सुपुत्र अगर ईमानदारी से देश की सेवा करना चाहे या राज्य का सेवा करना चाहे तो उसे राजनीति में उतरने में कोई दिक्कत नहीं है. जदयू की वर्तमान सांसद लवली आनंद ने भी तब इसका समर्थन किया था. हालांकि कुछ दिनों तक यह मुद्दा चर्चे में रहा और उसके बाद अटकलों का बाजार बंद हो गया.

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