Morari Bapu: भगवान श्री राम का नाम जपते ही ऐसा लगता है जैसे सभी दुख स्वतः समाप्त हो जाते हैं, और मन को शांति और सुकून मिल जाता है. राम का नाम उस तिनके के समान है, जो डूबते को सहारा दे सकता है, जो गरीब को भी राजा बना सकता है.आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जहां हर कोई पैसे कमाने की होड़ में लगा हुआ है, मनुष्य के पास भगवान के बारे में तो छोड़िए, खुद के बारे में सोचने की भी फुर्सत नहीं है. वह पैसा कमाने में इतना मशगूल है कि यह भूल जाता है कि अंततः उसे भगवान के पास ही जाना है.
भारत का युवा जहां अपनी पौराणिक कथाओं, वेदों और पुराणों को मानने से इंकार करता है, वहीं संयुक्त राष्ट्र ने प्रसिद्ध कथावाचक मोरारी बापू को पावन कथा श्री रामचरितमानस का पाठ करने के लिए न्यूयॉर्क में आमंत्रित किया है.
रामचरितमानस का वैश्विक संदेश
मोरारी बापू ने एक इंटरव्यू में कहा कि रामचरितमानस धार्मिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे एक वैश्विक संदेश देता है. यह उन सार्वभौमिक मूल्यों की बात करता है जिनकी आज की दुनिया में आवश्यकता है.संयुक्त राष्ट्र में रामचरितमानस का पाठ ईश्वरीय कृपा है और वैश्विक सद्भाव की ओर एक कदम है. यह पहली बार है कि न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में राम कथा का आयोजन किया जा रहा है और यह किसी सपने के पूरा होने जैसा अनुभव है
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मोरारी बापू ने श्री लंका, इंडोनेशिया, साऊथ अफ्रीका,केन्या, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका,ब्राजील ऑस्ट्रेलिया, इसराइल और जापान जैसे देशों में रामचरितमानस का रस घोला है. वे कहते हैं कि हम सभी मनुष्य को इस धरती जिसे हम वसुधैव कुटुंबकम् कहते हैं वहां पर प्यार , शांति , सौहार्द और सच्चाई के साथ अपना जीवन व्यापन करना चाहिए. राम कथा का आयोजन कर हम सभी के लिए परम शांति और कल्याण की प्रार्थना करते हैं.
समकालीन मुद्दों का समाधान
मोरारी बापू कहते हैं कि रामचरितमानस की शिक्षाएं मानसिक स्वास्थ्य, पर्यावरणीय क्षरण, और सतत विकास जैसे समकालीन मुद्दों के समाधान का मार्ग दिखाने में मदद कर सकती हैं. रामचरितमानस की शिक्षाएं संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों के साथ बहुत मेल खाती हैं, जो वैश्विक सहयोग और करुणा की आवश्यकता पर बल देती हैं. हमें तनाव और प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटना होगा, और इसमें सत्संग हमारी मदद कर सकता है.
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यह कार्यक्रम समकालीन वैश्विक चुनौतियों से निपटने और एक सामंजस्यपूर्ण विश्व को बढ़ावा देने में रामचरितमानस की कालातीत प्रासंगिकता को रेखांकित करता है. संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ऐतिहासिक राम कथा एक मील का पत्थर साबित होगी, जो आध्यात्मिक शिक्षाओं को शांति और एकता की वैश्विक आकांक्षाओं से जोड़ेगी.