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Bihar News: गया गांवों में डरा रहा डायरिया, अब तक 300 से अधिक लोग शिकार, पांच की हो चुकी है मौत

गया के सिविल सर्जन ने बताया कि मगध मेडिकल अस्पताल के पैथोलॉजी में रैंडम जांच में पता चला है कि लोग इकोलाइ बैक्टीरिया की चपेट में आये हैं. इसके चलते ही दस्त की शिकायतें हर किसी को थीं.

गया जिले के अतरी, नीचकबथानी व खिजरसराय प्रखंड के कई गांवों में इन दिनों डायरिया का प्रकोप अपने चरम पर है. इसके अलावा जिले के दूसरे इलाकों से भी इसके मरीज सामने आ रहे हैं. अब तक जिले में इस सीजन में कम से कम 300 लोग इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं. साथ ही आधा दर्जन की मौत भी हो चुकी है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, ज्यादातर लोगों ने सरकारी अस्पताल को छोड़ कर प्राइवेट में इलाज कराने के चक्कर में जान गंवायी है.

हाल के दिनों में अतरी प्रखंड की नरावट पंचायत के महादलित टोले वनवासी नगर गांव में डायरिया के प्रकोप ने 60 से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. पता चला है कि यहां बीमारी फैलने का मुख्य कारण कुएं का पानी रहा, जिसे लोगों ने पीने के लिए प्रयोग किया. गौरतलब है कि यहां तीन दिनों तक बिजली खराब रहने के कारण मोटर से पानी उपलब्ध नहीं हो सका और मजबूरी में लोगों ने कुएं का पानी पिया और बीमार पड़ गये.

काफी संख्या में लोगों के बीमार होने के बाद आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची, लेकिन लोगों ने विशेष तव्वजो नहीं दिया. गांव के आसपास के लोकल डॉक्टरों से ज्यादातर लोगों ने इलाज कराया और कुछ को पीएचसी में भर्ती कराया गया. इस लापरवाही के बीच पांच की मौत हो गयी. मृतकों में चार वनवासी नगर व एक बेलसर का है.

इसमें पांच वर्षीय बच्ची नेहा कुमारी, छह वर्षीय सोनू कुमार, 24 वर्षीय गोला कुमार, 60 वर्षीया सोनमा देवी व बेलसर गांव के लड्डू मांझी का पांच वर्षीय पुत्र पप्पू कुमार शामिल है. इसके अलावा भी खिजरसराय व नीमचक बथानी के एक-दो गांवों में लोग डायरिया की चपेट में आये हैं. जिले के अन्य प्रखंडों में भी डायरिया के चपेट में आने की शिकायतें मिल रही है.

इकोलाइ बैक्टीरिया की चपेट में आ रहे लोग

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जगह-जगह फैले डायरिया को लेकर पता लगाने के लिए रैंडम स्टूल जांच करायी गयी. सिविल सर्जन ने बताया कि मगध मेडिकल अस्पताल के पैथोलॉजी में रैंडम जांच में पता चला है कि लोग इकोलाइ बैक्टीरिया की चपेट में आये हैं. इसके चलते ही दस्त की शिकायतें हर किसी को थीं.

इस बैक्टीरिया की चपेट में आने का मुख्य कारण दूषित खाना व पानी है. अतरी प्रखंड की नरावट पंचायत के महादलित टोले के वनवासीनगर में लोगों ने कुएं से पानी निकला कर पिया था, जो दूषित था और आशंका है कि इकोलाइ बैक्टीरिया इस पानी में मौजूद था.

शहर से लेकर गांव तक हर दिन अस्पतालों में भी पहुंच रहे मरीज

शहर से लेकर गांवों में पीएचसी तक हर दिन डायरिया के शिकार होकर लोग 10-15 की संख्या में पहुंच रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, यहां पहुंचने वाले सभी लोगों को इलाज के साथ सलाह भी दी जा रही कि दूषित खान-पान , गंदगी आदि से बचें और गांवों में दूसरों को भी समझाएं.

स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इससे निबटने के लिए सभी अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा में दवा व डॉक्टर उपलब्ध हैं. इस मौसम में लोग सबसे अधिक संक्रामक बीमारी की चपेट में आ रहे हैं. बरसात में होनेवाली बीमारियों में डायरिया, स्किन एलर्जी, डेंगू फीवर, मलेरिया और फ्लू इन्फेक्शन शामिल है. इसके ही मरीज सबसे अधिक अस्पतालों में पहुंच रहे हैं.

जिले में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक स्टॉप डायरिया अभियान

स्वास्थ्य विभाग की ओर से डायरिया से बचाव को लेकर जिले में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक स्टॉप डायरिया अभियान चलाया जा रहा है. इसमें आशा, आंगनबाड़ी सेविका के साथ अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग लिया जा रहा है. इसके तहत लोगों को इससे बचाव को लेकर सही जानकारी दी जा रही है. इसमें आंगनबाड़ी व आशा से समन्वय स्थापित कर लोगों को डायरिया से बचाव के बारे में जानकारी दी जा रही है.

इसके साथ ही आंगनबाड़ी सहित घरों में जाकर ओआरएस पैकेट के वितरण के साथ ही घोल तैयार करने तथा इसे देने के तरीकों के बारे में जानकारी दी जा रही. दस्त हो जाने पर बच्चे को ओआएस का घोल पिलाने के साथ चौदह दिनों तक जिंक की गोली देना जरूरी है.

क्या हैं लक्षण

व्यस्कों में दो दिनों से अधिक समय तक दस्त रहना

102 डिग्री या उससे अधिक बुखारबार-बार उल्टी आना

24 घंटे में छह या अधिक बार ढीला मल आनापेट या मलाशय में तेज दर्द

मल काला और चिपचिपा हो या उसमें रक्त या मवाद होशरीर में पानी की कमी होना

क्या कहते हैं सिविल सर्जन

अतरी के वनवासी नगर गांव के अलावा, नीचकबथानी, खिजरसराय प्रखंड के गांवों में डायरिया फैला है. इस मौसम में अब तक 300 से अधिक लोग ही इसके चपेट में आ चुके हैं. आधा दर्जन से अधिक की मौत डायरिया के कारण हुई है. इसमें ज्यादातर मौत प्राइवेट अस्पतालों या गांव के डॉक्टर से इलाज कराने के दौरान हुई है. लोगों को इस तरह की बीमारी को लेकर समझदारी से काम लेना होगा. इसकी में चपेट में आने के बाद तुरंत ही नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में पहुंच जाएं. वहां समुचित इलाज की व्यवस्था है.

किसी तरह की परेशानी होने पर तुरंत एंबुलेंस के माध्यम से हायर सेंटर भेज दिया जायेगा. इससे जान जाने की संभावना न के बराबर होती है. ऐसे प्रभावित इलाकाें में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया है. अन्य आसपास के गांवों में भी ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव का निर्देश दिया गया है.

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