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कांवरियों के दर्द में दवा का काम करती है कुमरसार बदुआ नदी का पानी

श्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में कांवरियों की भीड़ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. दूसरी सोमवारी पर बाबा भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए कांवरिया शनिवार से ही सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर चल पड़े हैं.

प्रतिनिधि, संग्रामपुर. विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में कांवरियों की भीड़ धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है. दूसरी सोमवारी पर बाबा भोलेनाथ को जलाभिषेक करने के लिए कांवरिया शनिवार से ही सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम की ओर चल पड़े हैं. रंग-बिरंगे कांवर के साथ बोल बम का नारा है बाबा एक सहारा है… के जय घोष से संपूर्ण कांवरिया पथ गुंजायमान हो रहा है. लेकिन कांवरियों के दर्द में दवा काम करने वाली कुमरसार स्थित बदुआ नदी में पानी नहीं है और कांवरियों के जख्म पर मरहम नहीं लग पा रहा है.

बदुआ नदी में पानी नहीं रहने से कांवरियों के दर्द पर नहीं लग रहा मरहम

बताते चलें की सुल्तानगंज-देवघर कांवरिया पैदल पथ पर मुंगेर जिले के अंतिम छोर पर संग्रामपुर प्रखंड क्षेत्र के कुमरसार के समीप बदुआ नदी स्थित है. जहां नदी का बहता पानी कांवरियों के दर्द में दवा का काम करता है और पैर रखते ही उनकी थकानें मिट जाती है, लेकिन हाल के कुछ वर्षों में बदुआ नदी में पानी नहीं आने से कांवरिया सूखी हुई नदी को देखकर ठगा हुआ महसूस करते हैं. नदी में पानी तो नहीं है. लेकिन कुछ दिन पूर्व हुई हल्की बारिश से नदी के जिस जगह से कांवरिया गुजरते हैं वहां पानी जमा होने से कांवरियों को कुछ राहत मिलती है. वहीं नदी में फोटोग्राफर का रोजगार करने वाले लोगों द्वारा नदी में कांवरिया के गुजरने वाले रास्तों को थोड़ा सा गड्ढा कर दिया गया है. जहां कांवरिया कुछ देर के लिए इन गड्डों में जमा पानी में ही अपनी थकान मिटाते हैं. विदित हो कि कांवरिया पथ पर कांवरियों को दो नदी पार करनी होती है. पहले कुमरसार के समीप बदुआ नदी तथा दूसरा देवघर से 15 किलोमीटर पहले गोड़ियारी नदी. इन दोनों नदियों का शीतल जल कांवरियों के थकान पर किसी दवाई से भी ज्यादा असर करती थी जो आज विलुप्त हो चुकी है और यहां दुकानें सजी हुई है.

हाल के वर्षों में नदी में नहीं रहती है पानी

उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के अवध किशोर प्रसाद, रंजीत दास, प्रमिला कुमारी ने बताया कि वे लोग 20 वर्ष से पैदल देवघर जा रहे हैं. पहले इस नदी में इतनी पानी आती थी की कभी-कभी नदी के तेज धार में उस पार जाना कठिन हो जाता था और कांवरिया एक दूसरे का हाथ पकड़ कर नदी के इस पर से उस पर होते थे. परंतु कुछ सालों से नदी एकदम सूखी हुई रहती है. इस बार नदी में कुछ पानी आने से कांवरियों को थोड़ा आराम मिल रहा है. जबकि कुछ वर्ष पूर्व तक श्रावणी मेला के दौरान नदी में बाढ़ आ जाने से पानी की धारा इतनी तेज रहती थी कि कांवरियों को पैदल पार करने में काफी कठिनाइयों होती थी. इसी परेशानी को देखते हुए सरकार द्वारा लगभग 20 वर्ष पूर्व नदी में कांवरियों के जाने के रास्ते में सीमेंट का पिलर गाड़कर उसमें जंजीर डाल दी थी. ताकि कांवरिया उसे पकड़ कर तेज धारा के बीच भी नदी को पार कर सके. आज वह पिलर और जंजीर तो सही सलामत है. लेकिन नदी की अस्तित्व समाप्त होती दिख रही है.

बाबा भोले के प्रिय सवारी नंदी पर शिव-पार्वती को सवार कर देवघर जा रहे बंगाल के कांवरिया

असरगंज. विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में प्रतिदिन अद्भूत नजारा देखने को मिल रहा है. शुक्रवार को शिवभक्त अपने कांवर पर भोले बाबा के सबसे प्यारे सवारी नंदी पर महादेव, माता पार्वती एवं लाडले गणेश जी को बैठाकर देवघर जाते दिखे. पश्चिम बंगाल से आए बाबा भूतनाथ सेवा संघ कांवरियों के जत्था द्वारा 200 किलो का थर्मोकोल से कांवर को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाया था, जो कांवरिया पथ में चल रहे शिवभक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ था. संघ के कांवरियों ने नंदी पर सवार शिव, पार्वती एवं गणेश भगवान की प्रतिमा को कांवर पर स्थापित कर बाबाधाम के लिए जा रहे थे. कांवरियों ने बताया कि कांवरिया पथ में नजदीक में तार रहने से ऊंचाई वाले कांवर यात्रा करने में परेशानी होती है. अगर प्रशासन द्वारा इस तार की हाइट को बढ़ा दे तो यात्रा और सुगम हो जायेगी और विभिन्न तरह के खुबसूरत कांवर देखने को मिलेगा.

पति की शराब की लत छुड़ाने के लिए उर्मिला दंड देकर जा रही देवघर

असरगंज. हे महादेव मेरे पति की शराब पीने की लत को भुला दे. इसी मन्नत के साथ झारखंड दुमका की उर्मिला देवी अपने दो बेटों और एक बेटी के साथ दंडवत होकर देवघर जा रही है. उर्मिला का कहना है कि मेरे पति शराब के आदि हैं. जिससे मैं और मेरे बच्चे परेशान रहते हैं. दरअसल कहा जाता है कि सावन माह में अगर कोई महादेव पर जल चढ़ाता है तो महादेव उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं. यही कारण है कि सावन माह में लाखों की संख्या में शिव भक्त सुल्तानगंज के उत्तर वाहिनी गंगा से जल उठाकर मुंगेर कच्ची कांवरिया शाहकुंड मोड़ पथ होते हुए बाबाधाम जाते हैं. झारखंड की उर्मिला देवी अपने तीन बच्चों 12 वर्षीय कुंदन कुमार, 10 वर्षीय प्रीतम कुमार और 8 वर्षीय ज्योति कुमारी के साथ दंडवत देते बाबाधाम जा रही है. इतने छोटे-छोटे बच्चों को दंडवत करते देखकर हर कोई हैरान था. उर्मिला ने बताया कि बाबाधाम जाकर भगवान भोले को जल चढ़ाकर फिर बाबा बासुकीनाथ में अर्जी लगाने जा रही हूं. ताकि मेरे पति की शराब पीने की लत छूट जाये.

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