विधि संवाददाता,पटना
तीन नये कानून को लेकर ज्ञान भवन में शनिवार को दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया . समारोह का उद्घाटन करते हुए हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन ने कहा कि ये नये कानून को आम नागरिकों के लिए हैं. इस कानून से आम जनता को काफी सुविधा होगी. वहीं, फॉरेंसिक जांच की महता पर विस्तार से प्रकाश डाला. हाइकोर्ट के जज जस्टिस आशुतोष कुमार ने कहा कि तीनों कानून में व्यापक बदलाव किया गया है.अब दंड नहीं, न्याय होगा. उन्होंने कहा कि आपराधिक न्याय व्यवस्था समयबद्घ तरीके से संचालन होगा. योग्य अनुसंधानकर्ता के होने से आपराधिक मामलों को निर्धारित समय में निष्पादन में काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर कार्यक्रम का आयोजन हुआ है. इस कानून में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य ,जीरो प्राथमिकी की भी व्यवस्था की गयी है. बहुत मामलों में अनुसंधान के पहले प्राथमिक जांच करने का प्रावधान रखा गया है. इसके बाद ही उस मामले का अनुसंधान पुलिस को करना है. इससे पीड़ित को न्याय मिलेगा. उन्होंने बताया कि पुलिस इस कानून के अनुसार काम भी शुरू कर दिया. अब पुलिस को प्रत्येक मामले में सर्च एवं सीजर का वीडियोग्राफी करना अनिवार्य है. प्रत्येक दिन आइओ को केस की प्रगति अपलोड करना है. इन सभी कामों के लिए समय सीमा तय कर दी गयी है. पहले की तरह अब सालों साल ट्रायल नहीं चलेगा. उम्मीद है कि तीन नये कानून से लोगों को जल्द न्याय मिलेगा.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है