Delhi News: दिल्ली के राजेंद्र नगर इलाके में हुए हादसे में तीन छात्रों ने अपनी जान गंवा दी है. इन छात्रों के शव बरामद कर लिए गए हैं. इन शवों को पोस्टमार्टम के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल भेज गया है. इस हादसे में मरने वाले तीनों छात्रों की पहचान कर ली गई है इनमें एक छात्र और दो छात्राएं हैं. एक छात्र का नाम नेविन डाल्विन है, प्राप्त जानकारी के अनुसार नेविन केरल का रहने वाला था और पिछले कुछ महीनों से यहां पढ़ाई कर रहा था इसके साथ ही वह जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा था. नेलिन के अलावा दो और छात्राओं ने अपनी जान गंवाई है. उनकी पहचान तान्या सोनी पुत्री विजय कुमार और श्रेया यादव पुत्री राजेंद्र यादव के रूप में हुई है. सूत्रों की मानें तो श्रेया उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले की रहने वाली थी और वो जून से यहां पढ़ाई कर रही थी.
चश्मदीदों ने सुनाया आंखों देखा हाल
कोचिंग संस्थान में हुए हादसे के दौरान वहां 30 से ज्यादा छात्र मौजूद थे. बताते चलें कि उस कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में लाइब्रेरी थी. बेसमेंट में देखते ही देखते कुछ ही देर में पानी सर से ऊपर चला गया. इसके बाद बचाव कार्य शुरू हुआ छात्रों को रस्सियां फेंककर बाहर निकालने की कोशिश की गई. इस घटना के बारे में जानकारी देते हुए एक चश्मदीद छात्र ने बताया,” शाम 7 बजे लाइब्रेरी बंद होने पर जैसे ही हम बाहर निकले, तो सामने से बहुत तेज प्रेशर से पानी आ रहा था. जब तक हम लोग लाइब्रेरी खाली करते, तब तक घुटनों तक पा भर चुका था. उसने बताया कि बहाव इतना तेज था कि हम सीढ़ियां नहीं चढ़ पा रहे थे. 2-3 मिनट के अंदर पूरे बेसमेंट में 10-12 फीट पानी भर गया. वहां से निकलने के लिए रस्सियां फेंकी गईं, लेकिन पानी इतना गंदा था कि कुछ भी नहीं दिख रहा था.”
घटना के बाद एमसीडी पर फूटा छात्रों का गुस्सा
इस घटना के बाद छात्रों में गुस्सा है. वो इस घटना के लिए प्रशासन को जिम्मेदार मान रहे हैं. प्रदर्शन कर कर रहे एक छात्र ने एमसीडी पर सवाल उठाते हुए कहा, “यहं 80 फीसदी लाइब्रेरी बेसमेंट में ही हैं. देखने को मिलता है कि थोड़ी ही बारिश के बाद बाढ़ आ जाती है. आज तक इस पर एमसीडी काम नहीं कर रही है. यह काम एमसीडी का है. यदि बारिश के 10 15 मिनट के अंदर ही कहीं पानी भर जा रहा है. हम ढ़ाई तीन लाख रूपये देकर यहां पढ़ाई कर रहे हैं. यहां की सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी एमसीडी की है. एमसीडी किसी टपरी वाले से पैसे लेने के लिए तो बहुत जिम्मेदार है. वही एक लाइब्रेरी से रेस्क्यू करने में 12 से 15 घंटे लग गए. 99 फीसदी लोग नहीं बचे हैं.