भुवनेश्वर. ओडिशा सरकार ने राज्य में बड़े पैमाने पर बंदरगाह आधारित औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना और आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए शनिवार को केंद्र से वित्तीय सहायता की मांग की. नयी दिल्ली में नीति आयोग शासी परिषद की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि ओडिशा ‘आपदा प्रबंधन में अग्रणी’ राज्य बनकर उभरा है. ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पहले मुख्यमंत्री माझी ने कहा कि बिजली, दूरसंचार क्षेत्रों और तटीय इलाकों में आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि राज्य बंदरगाह आधारित विकास मॉडल को अपनायेगा और खुद को ‘पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया के प्रवेश द्वार और उसकी सीमा से सटे पड़ोसी राज्यों के लिए बंदरगाह’ के रूप में स्थापित करेगा. मुख्यमंत्री ने कहा, इसलिए धामरा और गोपालपुर के मौजूदा बंदरगाहों के आसपास के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना के लिए समर्थन की आवश्यकता है. वहीं अस्तरंग, पलुर, बाहुदा और सुवर्णरेखा में बंदरगाहों को और विकसित किया जाना है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने गंजाम जिले में केंद्र सरकार के स्वामित्व वाली 4,399 एकड़ नमक बनाये जाने वाली भूमि के हस्तांतरण की भी मांग की. माझी ने कहा कि एक संभावित हरित अर्थव्यवस्था के रूप में राज्य को ‘पंप हाइड्रो स्टोरेज प्लांट’, ‘फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट’ और अंतरराज्यीय हरित ऊर्जा ट्रांसमिशन कॉरिडोर के लिए केंद्र से समर्थन की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ओडिशा खनिज संसाधनों में समृद्ध है और देश में विभिन्न खनिजों का एक प्रमुख उत्पादक है. राज्य को एयरोस्पेस और रक्षा के लिए विशेष व मिश्र धातुओं का उत्पादन करने की आवश्यकता है. माझी ने कहा कि हमें इस संबंध में केंद्र सरकार के सहयोग की आवश्यकता है.
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