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प्रति व्यक्ति 10 रुपये वसूला जाता है प्रवेश शुल्क, पर सुरक्षा व सफाई व्यवस्था शून्य

जिले के सात पार्क नगर परिषद् के द्वारा वन विभाग को ट्रांसफर किया गया था, जिसमें से स्टेशन से सटे कवलदह पोखरा पॉर्क को वन विभाग के द्वारा 98 लाख की लागत से सौंदर्यीकरण कराया गया था

बक्सर. जिले के सात पार्क नगर परिषद् के द्वारा वन विभाग को ट्रांसफर किया गया था, जिसमें से स्टेशन से सटे कवलदह पोखरा पॉर्क को वन विभाग के द्वारा 98 लाख की लागत से सौंदर्यीकरण कराया गया था. पार्क का सौंदर्यीकरण वित्तीय वर्ष 2022-23 का काम पूरा कर जनवरी 2024 में इसे आमजन के लिए वन विभाग के द्वारा तो खोल दिया गया. मगर वन विभाग पार्क मेंटेनेंस व सफाई के नाम पर आमजन से सुबह 8 बजे से प्रवेश करने पर शुल्क के 10 रुपये का टिकट भी लगा दिया लेकिन सुरक्षा और सफाई शून्य है. लोगों को टहलने के लिए पॅार्क में बिछाए गए वेपर कई जगहों पर धंस गया है. पॉर्क में बच्चों के लिए झूला, ओपन जिम, बच्चों के लिए पार्क इसके साथ ही साथ साथ शौचालय की भी सुविधा है. मगर पॉर्क में बैठने के लिए 10 बेंच का निर्माण कराया गया है. पार्क में दूधिया रोशनी से जगमग के लिए सोलर लाइट भी लगाया गया है. लेकिन बच्चों के लिए लगाए गए झूला पर न वन विभाग के द्वारा कोई सुरक्षा का व्यवस्था किया गया है . अगर झूला झूलते समय अगर कोई बच्चा झूला पर से गिर जाता है तो विभाग के द्वारा प्राथमिक उपचार की कोई व्यवस्था नहीं किया गया है. वन विभाग के द्वारा जो ओपन जिम लगाया गया है उसका भी हालत ठीक नहीं है. जीम के कई सामान तो लकड़ी के सहारे चलाया जा रहा जो कि हादसा का शिकार हो सकता है. वही पार्क में बैठने के लिए बनाया गया बेंच टूट कर बिखरने लगा है. उस बेंच पर बैठने से बेंच में लगाए गये लोहे के छड़ से कभी भी घटना हो सकती है. लेकिन विभाग बस राजस्व वसूलने में मस्त है. पार्क को दूधिया रोशनी से जगमग करने के लिए पार्क में लाइट लगाया गया है. मगर वन विभाग के द्वारा बिजली कम खपत हो इसके वजह से लाइजट जलाया नहीं जाता है. जिसके कारण शाम होते ही पॉर्क में अंधेरा पसर जाता है. शहर के निवासी व युवा नेता विवेक सिंह का कहना है कि वन विभाग केवल राजस्व की वसूली में मसगूल है. उसे लोगों की सुरक्षा और सफाई से कोई मतलब नहीं है. वही शहर के निवासी अमीत कुमार राय का कहना है कि वन विभाग के द्वारा कवलदह पार्क को उच्च स्तरीय पार्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा गया है. पार्क में रंग बिरंग फूल पतियों के साथ ओपन जीम बच्चों के लिए झूला भी लगाया गया था लेकिन जिस सोच के साथ पार्क का सौंदर्यीकरण किया गया था वह नगर वासियों को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है.वही नहीं पार्क के शौचालय में शौच करने के बाद जो हैंड वॉश का लोग उपयोग करते हैं वह भी एक बार रख दिया गया . खत्म होने के बाद शौच करने के बाद हाथ धोने के लिए हैंड वॉश नहीं है. ऐसे में आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. क्या कहते हैं पॉर्क के इंचार्ज वनरक्षी इस संबंध में पार्क के इंचार्ज वनरक्षी नीतीश कुमार से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो शिकायत करना है रेंजर से करिए हम मिडिया को बयान नहीं दे सकते हैं. सोचने वाली बात है जब पार्क के इंचार्ज इन सभी सवालों का जवाब देना उचित नहीं समझ रहे हैं. तो फिर पार्क किसके भरोसे चल रहा है.

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