डुमरांव. सावन माह में नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत महरौरा शिव मंदिर अपना महत्व है. डुमरांव-विक्रमगंज पथ ईदगाह से तीन किलोमीटर दूरी पर महरौरा गांव स्थित शिव मंदिर में दूर-दराज से भक्त पहुंचते है. भक्तों का मानना है कि महरौरा शिवलिंग को हल्दी के लेप लगाने से मनोकामना की पूर्ति के साथ पापों का नाश होता है. महरौरा गांव से मंदिर तक पहुंच पथ जर्जर है. स्थानीय लोगों द्वारा मंदिर पहुंच पथ के तालाब सौंदर्यीकरण व मंदिर के विकास को लेकर पूर्व सांसद अश्विनी चौबे, जिला व अनुमंडल प्रशासन को आवेदन सौंपा गया. पूर्व सांसद ने मंदिर के विकास को लेकर स्थानीय लोगों को आश्वस्त किया था. लेकिन आज तक पहल नहीं किया. सावन माह में मंदिर पहुंच पूजा अर्चना के साथ जलाभिषेक करते हैं. फाल्गुनी शिवरात्रि के दिन वार्षिकोत्सव पूजन सह मेला का आयोजन होता है. ऐसे ईदगाह से पुलिया पहुंच पथ व गांव से मंदिर पहुंच पथ जर्जर होने से इस सड़क से जूडे गांव के लोगों के अलावे श्रद्धालुओं को आवागमन में परेशानी होती है. पुलिस से काली मंदिर तक नगर परिषद द्वारा पीसीसी सड़क निर्माण कराया गया है. लेकिन ईदगाह से लेकर पुलिया तक और गांव से मंदिर पहुंच पथ बदहाल है. हालांकि चेयरमैन सुनीता गुप्ता ने कहा जर्जर सड़क का निर्माण होगा. ताकि शहर से मंदिर तक पहुंचने में श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना न करना पड़े. पहले यह गांव कुशलपुर पंचायत अंतर्गत आता था, अब नगर परिषद क्षेत्र में आ गया है. 150 वर्ष पहले मिली थी शिवलिंग घनघोर जंगलों के बीच खुदाई के दौरान 150 वर्ष पूर्व साधुओं की जमात को शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी. यें साधू समाज अपने कुटिया बनानें को लेकर जंगल में जमीन की खुदाई कर रहे थें. धीरे-धीरे महरौरा शिव की ख्याति दूर-दराज तक फैल गई. और भक्तों के सहयोग से मंदिर का निर्माण होने लगा. आज यह मंदिर अपने आप में भव्यवता प्रदान करता है. शिवरात्रि में होता है वार्षिकोत्सव फागुन माह के महाशिवरात्रि के दिन महरौरा शिव महादेव का वार्षिकोत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन आयोजकों द्वारा मेले का आयोजन किया जाता है. शिव के दर्शन के लिए उस दिन दर्जनों गांवों के भक्तों का जमवाड़ा लगता है. मंदिर पुजारी खेदू मिश्रा व श्रद्धालू सोनू वर्मा कहते है कि सावन माह में हजारोें शिवभक्तों द्वारा बक्सर से गंगाजल से जलाभिषेक करते है. शिव मंदिर आस्था व विश्वास का केंद्र बनते जा रहा है.
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