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सांप के काटने पर झाड़-फूंक के चक्कर में न पड़ें, अस्पताल में करायें मरीज का इलाज

यह जानना इसलिए जरूरी क्योंकि झाड़-फूक के चक्कर में आकर कई की जा चुकी है जान

बरसात के मौसम में बड़ी संख्या में लोग सर्पदंश का शिकार होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं. जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) के आंकड़ों पर नजर डालें, तो दो माह में 209 लोग सर्पदंश का शिकार होकर अस्पताल पहुंचे. इनमें से कुछ की देर से अस्पताल पहुंचने के कारण मौत हो गयी. झाड़-फूंक के चक्कर में पड़कर अस्पताल पहुंचने में देर हुई और लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी. एसएनएमएमसीएच के मेडिसिन विभाग के एचओडी डॉ यूके ओझा ने बताया : सांप काटने पर जल्द इलाज शुरू करना चाहिए न कि झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास में पड़कर मरीज की जान को खतरे में डालना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग के पास स्नेक बाइक का टीका एंटी स्नेक वेनम व एंटीडोट उपलब्ध है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे के अनुसार हर साल 80 हजार लोगों को सांप काट लेते हैं. उनमें से 10 हजार मरीजों की मौत समय पर उपचार न मिलने कारण हो जाती है. उन्होंने कहा कि सांप के काटने पर बेहद जरूरी हो जाता है कि समय पर सही इलाज शुरू किया जाये.

ये हैं सांप काटने के लक्षण :

डाॅ यूके ओझा ने बताया कि सांप के काटने के बाद काटने वाली जगह पर दांतों के निशान काले रूप में उभर आते हैं. सांप के काटने का प्रभाव दिल व दिमाग पर ज्यादा पड़ता है. सांस लेने में दिक्कत, शरीर में जकड़न, सूजन पड़ना व शरीर में जलन होना, मसूड़ों में खून आना, तेज बुखार आदि सांप के काटने के लक्षण हैं. सांप के काटने पर घबराना नहीं चाहिए, बल्कि तुरंत इलाज शुरू करना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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