Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने जीवनकाल में कई तरह की नीतियों की रचना की है. कहा जाता है अगर इन नीतियों का पालन कोई इंसान करे तो उसे जीवन में कभी भी हार का सामना नहीं करना पड़ता है. केवल यहीं नहीं, अगर कोई भी इंसान चाणक्य द्वारा नयी गयी नीतियों का पालन करता है तो ऐसे में उसका जीवन काफी सफलतापूर्वक और खुशहाली के साथ भी बीतता है. इस लेख में जानेंगे आचार्य चाणक्य द्वारा देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाए. आइए जानते हैं उन 3 जगहों के बारे में जहां देवी लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करती हैं,
वह स्थान जहां मूर्खों की पूजा नहीं होती
जिस स्थान, घर, गांव, शहर, राज्य या देश में मूर्ख व्यक्ति का सम्मान करने के बजाय बुद्धिमान और गुणी लोगों का सम्मान किया जाता है, वहां देवी लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करने लगती हैं. यहां गुणी व्यक्ति से आचार्य का तात्पर्य है कि योग्य व्यक्ति सम्मान प्राप्त करके अपने परिवार, गांव, शहर, राज्य या देश को प्रगतिशील बनाने का हर संभव प्रयास करता है और अपना, अपने परिवार, राज्य या पूरे देश का नाम रोशन करता है.
दूसरी ओर, अयोग्य और मूर्ख व्यक्ति को अनावश्यक रूप से सम्मानित करने और उसे चने के झाड़ पर चढ़ाने से कोई लाभ नहीं है, क्योंकि उसकी सोच सीमित है. परिणामस्वरूप ऐसे व्यक्ति के नाम कोई उपलब्धि दर्ज नहीं होती.
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जहां अन्न का भण्डार भरा हो
दूसरा स्थान जहां मां लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करती हैं, वह है अन्न का भण्डार या गोदाम. हालांकि अन्न का भण्डार सुख-समृद्धि का प्रतीक है. अन्न जीवन की मूलभूत आवश्यकता है. अन्न शरीर को मजबूत बनाता है और भरपूर पोषण भी प्रदान करता है. अन्न का भण्डार परिश्रम और लगन का भी प्रतीक है. अन्न का भण्डार केवल अपने लिए ही नहीं होता, बल्कि जरूरत पड़ने पर इसे दूसरों के साथ भी बांटा या दान किया जा सकता है. खाद्य पदार्थों का भण्डार अपने आप में संतुष्टि और खुशी प्रदान करता है.
इसलिए आचार्य कहते हैं कि जहां सुख-समृद्धि, मेहनत और लगन, दान, पुण्य, संतुष्टि और खुशी हो, वहां मां लक्ष्मी कैसे नहीं आएंगी. ऐसे स्थानों पर श्री लक्ष्मी स्वयं आती हैं.
जहां पति-पत्नी के बीच झगड़ा नहीं होता
तीसरा स्थान, जहां श्री लक्ष्मी स्वयं आकर निवास करने लगती हैं, वह स्थान है स्वच्छता, शांति और समृद्धि का. जिस घर में पति-पत्नी के बीच झगड़ा नहीं होता, मतभेद नहीं होते, लड़ाई-झगड़े नहीं होते, बल्कि वे खुशी-खुशी एक-दूसरे का सम्मान करते हुए रहते हैं, उस घर में श्री लक्ष्मी सदैव निवास करती हैं.
क्योंकि देवताओं का निवास स्वच्छता, शांति, समृद्धि, सम्मान और प्रतिष्ठा वाले स्थानों पर होता है.