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आयुष्मान भारत योजना में अस्पतालों की संख्या बहुत कम

जिले में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के लिए जरूरत के मुताबिक निजी अस्पतालों के इंपैनल्ड नहीं रहने से मरीजों को इलाज कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.जिले में अभी लगभग साढ़े बारह लाख आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी है.इनके लिए सरकारी अस्पतालों को छोड़कर मात्र चार निजी अस्पतालों को ही इंपैनल्ड स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया.

सीवान. जिले में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों के लिए जरूरत के मुताबिक निजी अस्पतालों के इंपैनल्ड नहीं रहने से मरीजों को इलाज कराने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है.जिले में अभी लगभग साढ़े बारह लाख आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी है.इनके लिए सरकारी अस्पतालों को छोड़कर मात्र चार निजी अस्पतालों को ही इंपैनल्ड स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया.चार में से दो नेत्र रोग,एक नाक, कान एवं गला तथा एक सामान्य अस्पताल को इंपैनल्ड किया गया है.शहर में बहुत से आधुनिक सुविधाओं से युक्त बहुत से मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पताल खुल गये है.लेकिन विभाग द्वारा उन्हें इंपैनल्ड करने का प्रयास नहीं किया गया.सामान्य सर्जरी,आर्थो सर्जरी,सिजेरियन एवं डेंगू जैसी सामान्य बीमारियों के इलाज के लिए लाभार्थियों को सीमावर्ती गोरखपुर या पटना जाना पड़ता है.सीवान जिले में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत लगभग 2588586 लाभुक हैं जिनमें लगभग 1245000 लाभुकों का आयुष्मान भारत कार्ड बना दिया गया है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह प्रयास किया जा रहा है कि शेष लगभग 52% लाभुकों का भी शीघ्र गोल्डेन कार्ड बना दिया जाये. सरकारी अस्पतालों में नहीं है पर्याप्त संसाधन सरकारी अस्पतालों को विभाग ने तो आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज करने के लिए अधिकृत तो कर दिया है. लेकिन मानक के अनुसार सरकारी अस्पतालों में संसाधन नहीं होने से मरीजों को परेशानी हो रही है. सरकारी अस्पतालों में पैथेलॉजिकल जांच,एक्स-रे,अल्ट्रा साउंड तथा दवा की समुचित व्यवस्था नहीं है. बंघ्याकरण कराने के लिए मरीजों के परिजनों को बाहर से जांच व दवा खरीदनी पड़ती है.सदर अस्पताल में तो विभाग द्वारा डॉक्टरों को निर्देश दिया गया है कि उन्हें आम मरीजों का उपलब्ध संसाधनों से ही इलाज करना है.मरीज की जान बचानी है तो वे बाहर की जीवन रक्षक दवाएं नहीं लिख सकते.आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने वाले मरीजों के लिए विशेष वार्ड एवं ओटी बनाया गया. इससे अस्पताल को आर्थिक रूप से लाभ भी मिला.लेकिन समय के साथ आयुष्मान भारत योजना के तहत बने वार्ड में पुनर्वास केंद्र एवं पीकू वार्ड बना दिया.कुछ कमरों में सदर अस्पताल का दवा भंडार है.जिले के किसी भी सरकारी अस्पताल में विशेषज्ञ एनेस्थेटिक डॉक्टर नहीं है. एक साल में करीब साढ़े छह सौ मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हुआ है. इसमें प्रसव,सिजिरियन,डॉग बाइट,डायरिया तथा फीवर बीमारी अधिक है. क्या कहते है जिम्मेदार शहर के कई निजी मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पतालों ने इंपैनल्ड होने के आवेदन दिया है.इंपैनल्ड करने की प्रक्रिया प्रोसेस में है.बहुत जल्द ही आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों को परेशानी से राहत मिलेगी. राजकिशोर प्रसाद, डीपीसी,आयुष्मान भारत योजना,सीवान

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