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आदिवासी शक्ति पीठ सेवा ट्रस्ट की बैठक में उठी मांग, आदिवासी व वनवासी को मिले वन भूमि का अधिकार

आदिवासी शक्ति पीठ सेवा ट्रस्ट की बैठक सोमवार को पीडब्ल्यूडी इबी में हुई. इसमें आदिवासी व वनवासी को वन भूमि का अधिकार देने की मांग की गयी.

झारसुगुड़ा. आदिवासी शक्ति पीठ सेवा ट्रस्ट की एक आम बैठक आदिवासी समाज के वरिष्ठ सदस्य एवं उपाध्यक्ष दुबराज मुंडा की अध्यक्षता में स्थानीय पीडब्ल्यूडी आइबी में साेमवार को आयोजित की गयी. बैठक में ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं संयुक्त जनजातीय समाज के मुख्य सलाहकार महेंद्र नायक, सलाहकार रत्नाकर के प्रधान एवं प्रधान सचिव अशोक कुमार मांझी उपस्थित थे. इसमें बताया गया कि विधानसभा में राज्य सरकार द्वारा विभिन्न लोगों द्वारा कब्जा की गयी सरकारी जमीन को जब्त करने का जिलाधिकारियों को दिया गया आदेश त्रुटियों से भरा है. अब भी आदिवासी और वनवासी वर्षों से परिवार के साथ सरकारी जमीन पर खेती कर और मकान बनाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करता आ रहा है, वन भूमि अधिकार अधिनियम 2006 के अनुसार संबंधित जमीन उनके नाम पर दर्ज होनी चाहिए, लेकिन सरकार ने अब तक इसे पूरा नहीं किया है. इस संदर्भ में यदि संबंधित आदिवासी परिवारों की भूमि अधिग्रहित की जाती है, तो उन्हें मुक्त किया जाना चाहिए, इसलिए सबसे पहले आदिवासी वनवासियों को उनके कब्जे में भूमि कानूनों के अनुसार पट्टा दिया जाना चाहिए.

13 अगस्त को जिला स्तर पर प्रदर्शन करने का निर्णय

आगामी 9 अगस्त को आदिवासी समाज एवं आदिवासी शक्ति पीठ सेवा ट्रस्ट द्वारा आदिवासी गांवों में विश्व आदिवासी दिवस मनाया जायेगा तथा 13 अगस्त को जिला स्तर पर पारंपरिक आदिवासी संस्कृति का भव्य प्रदर्शन कर जिलापाल के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांग पत्र दिया जायेगा. इस मांग पत्र में जिले में रहने वाले 11 प्रकार के आदिवासियों की कला, संस्कृति, नैतिकता, इतिहास, परंपरा, देकादेवी आदि सहित आदिवासी शक्ति पीठ और खुले आदिवासी संग्रहालय का निर्माण और विशेष विकास परिषद द्वारा ली गयी परियोजनाओं की मांगों शीघ्र पूरा करने को लेकर सरकार का ध्यान आकर्षित कराया जायेगा.

सरकार कोई कार्य करने के लिए नहीं दे रही है फंड

पिछले मई 2023 में झारसुगुड़ा जिले के लैयकेरा और किरमिरा ब्लॉक को केंद्र और राज्य सरकार द्वारा आइटीडीए ब्लॉक घोषित किया गया था और झारसुगुड़ा में कार्यालय भी खोला गया था, लेकिन अब तक इसे पूरी तरह से कार्यक्षम नहीं किया गया है. जबकि आइटीडीए कार्यालय में सरकार द्वारा नियुक्त कर्मचारी हर महीने अपना वेतन प्राप्त कर रहे हैं. बैठक में इस बात पर नाराजगी देखी गयी कि सरकार उन्हें कोई भी काम करने के लिए फंड नहीं देती है, जिससे वे आदिवासियों के विकास का माध्यम नहीं बन पा रहे हैं. आदिवासी शक्ति पीठ सेवा ट्रस्ट की गवर्निंग बॉडी का गठन आगामी आमसभा में किया जाएगा. इस बैठक में कोषाध्यक्ष गंगाधर भोई, महासचिव बिनोद बिहारी बाघ, महासचिव बासुदेव धुरुआ, धर्मेंद्र किसान, प्रेमानंद विश्वाल, राजेश मुंडा, बीरेन मरई, विनोद मुंडा, मिनकेतन मराई, कुंदा मुंडा, गोविंदा मुंडा, दिलेश्वर नायक, नलिन नायक, हुकुम सिंह उपस्थित थे.

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