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धकेलकर छात्रों ने निकाला कक्ष से बाहर : कुलपति

एक माह बाद कुलपति पहुंचे काजी नजरूल विश्वविद्यालय, छात्रों ने किया विरोध

आसनसोल. काजी नजरूल विश्वविद्यालय (केएनयू) के कुलपति डॉ. देबाशीष बंधोपाध्याय ने कहा कि सोमवार को चार घंटों तक छात्रों ने उन्हें उनके कक्ष में ही घेरकर रखा और बाद में धकेल करके उन्हें वहां से बाहर निकाल दिया. इस दौरान उनके साथ धक्का मुक्की भी हुई. उन्होंने कहा कि वे लोग छात्र नहीं लग रहे थे. ये उनके विश्वविद्यालय के कोई नहीं थे. उन्होंने किसी को नहीं पहचाना, सभी बाहरी थे. सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक चार घंटे तक कक्ष में बिजली पानी बंद कर घेराव किया गया था. बाद में धक्का मुक्की शुरू की, शरीर पर हाथ छोड़ा गया. उनलोगों ने कहा कि विश्वविद्यालय से बाहर निकल जाइये. जिसके उपरांत वे अपने कक्ष से निकल गये. उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ हर स्तर पर शिकायत की गयी है. मंगलवार को विश्वविद्यालय आने के विषय में कहा कि परिस्थिति के आधार पर वह देखेंगे. तृणमूल छात्र परिषद (टीएमसीपी) के जिलाध्यक्ष अभिनव मुखर्जी ने कहा कि कुलपति को किसी प्रकार से शारीरिक हैकल नहीं किया गया है. आंदोलन चल रहा था, जिसके कारण वे अपने कक्ष से बाहर निकल गये. यूनियन की ओर से कुलपति के इस्तीफे की मांग की जा रही है. अदालती कार्रवाई पर खर्च हुए छात्रों के फीस का पैसा जबतक वापस नहीं आता, तबतक आंदोलन जारी रहेगा.

गौरतलब है कि आठ जुलाई से टीएमसीपी के बैनर तले केएनयू में आंदोलन चल रहा है. आंदोलन के क्रम में कुलपति और रजिस्ट्रार के कक्ष में ताला जड़ दिया गया था. लॉ के छात्रों की काउंसिलिंग का कार्य बाधित होने के कारण अभिभावकों ने रजिस्ट्रार के कक्ष का ताला तोड़ दिया था. जिसके बाद से रजिस्ट्रार सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं.

कुलपति 22 जून को बाहर गये थे, उसके बाद वह आठ जुलाई को कोलकाता लौटे. आठ तारीख से ही टीएमसीपी का आंदोलन शुरू हुआ. उसके बाद वे पहली बार सोमवार को अपने कार्यालय पहुंचे. कुलपति ने कहा कि शिक्षा मंत्री के निर्देश पर वह विश्वविद्यालय पहुंचे. अवकाशप्राप्त कर्मियों के पेंशन के कागजात तैयार करने थे. उनके आने की सूचना मिलते ही टीएमसीपी के जिलाध्यक्ष अपने समर्थकों के साथ पहुंचे और उनके कक्ष में ही आंदोलन शुरू कर दिया.

विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्रोफेसर ने कहा कि टीएमसीपी के आंदोलन का रुख देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि यह आंदोलन लंबा चलेगा. पहले के कुलपति को भी आंदोलन के कारण ही यहां से हटना पड़ा था. इसबार भी परिस्थिति वैसी ही बन रही है. यूनियन कुलपति के इस्तीफे की मांग पर अड़ा हुआ है.

जिलाध्यक्ष ने की श्वेतपत्र जारी करने की मांग

जिलाध्यक्ष श्री मुखर्जी ने कहा कि विश्वविद्यालय में छात्रों की फीस का पैसा अदालती कार्रवाई पर खर्च किया जा रहा है. यह राशि एक करोड़ तक हो सकती है. खर्च का श्वेतपत्र जारी करने को कहा गया था. अब मांग है कि खर्च हुई राशि को वापस विश्वविद्यालय के फंड में लाना होगा. कुलपति डॉ. बंधोपाध्याय ने कहा कि उन्होंने दो जून 2023 को यहां का पदभार ग्रहण किया है. विश्वविद्यालय के जो भी मामले हैं उनके आने के पहले के हैं. विश्वविद्यालय ने किसी पर मामला नहीं किया है, विश्वविद्यालय पर जो मामला हुआ है, वह विश्वविद्यालय लड़ रहा है. 80 फीसदी मामलों में विश्वविद्यालय को जीत मिली है. 20 फीसदी मामले ही अदालत में पेंडिंग हैं.

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