बीएयू में खरीफ अनुसंधान परिषद की दो दिनी बैठक का समापन
रांची. फसलों की क्षमता बढ़ाने और वास्तविक उपज के बीच की खाई को पाटने के लिए कृषि अनुसंधान में नयी तकनीक का इस्तेमाल जरूरी हो गया है. इनमें जैव प्रौद्योगिकी, जीनोम एडिटिंग, मार्कर असिस्टेड ब्रीडिंग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और ड्रोन आदि नवीनतम तकनीक शामिल हैं. ये बातें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आइसीएआर) के उप महानिदेशक डॉ टीआर शर्मा ने सोमवार को कहीं. डॉ शर्मा बिरसा कृषि विवि (बीएयू) में आयोजित खरीफ अनुसंधान परिषद की बैठक में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि विभिन्न फसल किस्मों की क्षमता और वास्तविक उपज के बीच 30-40 प्रतिशत का गैप हो गया है. साथ ही कीड़ों, रोगों के कारण एवं उचित पैकेज प्रणाली के अभाव में कटाई के बाद के चरण में उत्पादों की समुचित हैंडलिंग नहीं होने से 25-30 प्रतिशत उत्पादन बर्बाद हो जाता है.रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां हों
डॉ शर्मा ने कुलपति से अनुरोध किया कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां की जायें. क्योंकि जिन परियोजनाओं में लंबे समय से रिक्तियां पड़ी हैं, उन्हें आइसीएआर समाप्त कर सकती है. इस अवसर पर भारतीय जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची के निदेशक डॉ सुजय रक्षित, केंद्रीय तसर अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान, रांची के निदेशक डॉ एनबी चौधरी और बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह ने भी अपने विचार रखे. इससे पूर्व विवि के कुलपति डॉ एससी दुबे ने स्वागत किया. संचालन शशि सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सीएस महतो ने किया.पुस्तक का किया गया लोकार्पण
डीडीजी डॉ शर्मा ने डॉ मणिगोपा चक्रवर्ती एवं सहयोगी वैज्ञानिकों द्वारा लिखित पुस्तक मक्का संबंधी जनजातीय उप योजना के माध्यम से झारखंड के किसानों का सामाजिक-आर्थिक विकास शीर्षक पुस्तक का लोकार्पण किया. घाटशिला के किसान अनिल कुमार महतो को आधुनिक कृषि के लिए सम्मानित किया गया. पैनल डिस्कशन में डॉ विशाल नाथ, डॉ जीएस दुबे, डॉ एके सिंह, डॉ जेड ए हैदर, डॉ आरपी सिंह रतन और डॉ ए वदूद आदि ने भाग लिया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है